Wednesday 28 November 2018

माँ


  माँ
मेरी ममता मयी मातु, तुमको प्रणाम है,
धरा धाम में, जग में ऊँचा धन्य नाम है l
              गीले में सो कर, सूखे में मुझे सुलाया,
              धूप शीत से बचने को आंचल फैलाया l
              लोरी गा कर, मेरे मन को नई बहलाया,
              कैसे बीत गया बचपन मैं जान न पाया l
निशि वासर सेवा करना ही सदा काम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l \
               तुमने तो कर्तव्य सहज ही सदा निभाया,
               अधिकारों का क्या प्रयोग, इसको विसराया l
               सीमित इच्छाओं में रह कर मन समझाया,
                सबके सुख का ध्यान रखा, उसमें सुख पाया l
अबलम्बन बस सदा ऐक ही रहा राम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                 सुख समृद्धि परिवार जनों की हो मन भाया,
                 व्रत उपवास किये जीवन भर,प्रभु गुण गाया l
                 मेरे हित जप, तप, कीर्तन ही सदा सुहाया,
                  अमृत बाँटा और गरल ही गले लगाया l
नित्य भजन, पूजन का क्रम ही सुबह शाम है
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                  बैठ जिस महफिल में उसमें रंग जमाया,
                  राम नाम का,विविध रंग में भजन सुनाया l
                  राम कथा गा,गाकर सबको यह समझाया ,
                  बृह्म सत्य है, और जगत है मिथ्या माया l
मन्दिर की चौखट से नाता अष्ट याम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                   छोड़ चली तुम मुझे, गला मेरा भर आया,
                   पुनर्जन्म में मुझे मिले बस तेरी छाया l
                    सब कुछ दे कर मुझे,जली धू धूकर काया,
                   माँ की काया को मुखाग्नि ही मैं दे पाया l
माँ तेरे बिन सूना मुझको धरा धाम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                     अम्ब !आपके आदर्शो को मैं अपनाता,
                     कर्तव्यों प्रति रहूँ समर्पित यह मन भाता l
                     यही माँगता प्रभु से अक्षणु रखना नाता,
                     श्रृद्धा सुमन सदा चरणों में रहूँ चढाता l
सीख स्वर्ग देती रहना,यह गुलाम है,ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है

Friday 16 November 2018

सत्साहित्य सदा कवि लिखता,


सत्साहित्य सदा कवि लिखता, चाटुकारिता नहीं धर्म है,
वह उपदेशक है समाज का, सच में उसका यही कर्म है l
परिवर्तन लाना  समाज  में, स्वाभाविक बाधाएँ  आयें,
कार्य कुशलता के ही कारण, सम्मानित है, यही मर्म है l

Wednesday 14 November 2018

अच्छा देखें आप,


सब बुराई ही खोजते, अच्छा देखें आप,
उसका प्रतिफल देखिये, पड़े अनूठी छाप |
          जब बुराई हम देखते,मन में हो संताप,
           अच्छाई तो  देखिये, बड़े  बनेगें  आप |
रकम मिले यदि चेक से, करो चेक भुगतान,
नगद पाई है यदि रकम, लौटा दो धर ध्यान |    

Monday 12 November 2018

मिले सफलता,


बारम्बार प्रयास करो  तो, मिले  सफलता,
चिंता और निराशा  छोडो, गई  विफलता.
असफलता से विमुख न हो,संघर्ष करो तुम,
जब अवसर अनकूल,प्रगति पर जीवन चलता |

Tuesday 6 November 2018

शुभ कामना दीपावली

बना कर देह का दीपक,
जलाओ स्नेह की बाती,
मिटे मन का अँधेरा भी,
प्रकाशित हो धरा सारी |
         दिवाली रोज मन जाये,
         विनय है ईश से मेरी,
         प्रभुल्लित आप रह पायें,
         यही शुभ कामना मेरी |

Thursday 1 November 2018


उलझा प्राणी मोह में, जीवन है संग्राम,
वही जीत पाया इसे, जो भजते हैं राम l
                  राह  कटीली  बहुत है, पग पग पर अवरोध,
                राम भजन से सुगम है,  यह मेरा अनुरोध l