Sunday 10 March 2019

कर्तव्य


जब घिरा हो देश, चारों ओर दुश्मन से,
लिख सकूं कैसे भला श्रंगार गीतों में l
लेखनी मजबूर होकर कह रही मुझसे,
अब समय आया, लिखो अंगार गीतों में l
           हो गये हैं देश पर जो भी निछावर,
           देश हित में जो हुये, मर कर उजागर l
           धन्य हैं वे राष्ट्र रक्षा व्रत लिया था,
           आज वे ही अमर हैं गोलियां खाकर l
याद करके हम लिखें उपकार गीतों में,
अब समय आया लिखें अंगार गीतों में l
           पाक सीमा लाँघ कर आता यहाँ पर,
           छोड़ देते हम सहज ही, दांव खा कर l
           मित्र है अपना, पड़ोसी बन रहे वह,
           हरकतें एसी, रहे वह दूर जा कर l
प्राण फूकें हम भरें हुँकार गीतों में,
लिख सकूं कैसे भला श्रंगार गीतों में        l                                                           
           जो छिपे हैं, देश में षड्यन्त्र कारी,
            देश के दुश्मन, नहीं वे क्रान्तकारी l
            देश की तस्वीर ये करते धुधलकी ,
            खोज कर उनको, उतारें कर्ज भारी l
स्वर बने रण वेध के, टंकार गीतों में ,
अब  समय आया लिखें अंगार गीतों में l
            अब न लेगीं सिसकियाँ कश्मीर घाटी,
            वीरता के नाम पर है धन्य माटी l
            देश रक्षा का हमारा व्रत रहा है,
            जिन्दगी धिक्कार यदि यह चैन से काटी l
हम समेटें आज सब संसार गीतों में,
लिख सकूं कैसे भला श्रंगार गीतों में l
लेखनी मजबूर हो कर कह रही मुझसे ,
अब समय आया लिखो अंगार गीतों में l


Sunday 3 March 2019

श्रृद्धांजलि

 है नमन उनको कि जिनकी, वीरता ही खुद  कहानी,
देश हित में  प्राण दे कर, होम  दी  अपनी जवानी |
         कर्ज भारत भूमि का है, प्रथम मैं पूरा करूंगा,
         माँ वचन मेरा तुम्हें, मैं लौट कर शादी रचूंगा |
पर निकट  उत्सर्ग मेरा, पुत्र तेरा  स्वाभिमानी,
माँ मुझे तुम क्षमा करना, जा रही है यह निशानी |
         पापा वचन “सौ मार कर, होना निछावर देश पर,
         याद  है,  मारे हजारों, कप्तान के  आदेश  पर |
किन्तु घायल हो गया हूँ, हो रही है अब र वानी,
कष्ट मुझको है नहीं अब, नींद  आयेगी सुहानी |
         कह के आया, आऊँगा, इस  वर्ष  सावन  में,
         सूनी कलाई जा रहा, दृढ संकल्प ले  मन में |
देश सर्वोपरि हमारा, फर्ज की कीमत चुकानी,
अब मुझे होना निछावर, वीरता मुझको दिखानी |
         कर्म पथ पर बढ़ चले जो, याद उनकी आज घर घर,
         जब जरूरत आ  पड़ी तो, वे  गये आदेश  पा कर  |
सुमन श्रृद्धान्जलि समर्पित, मूक होती आज वाणी,
देश पर होंगे निछावर, बस यही अब कसम खानी |
देश हित में प्राण दे कर, होम दी  अपनी जवानी,
है नमन उनको कि जिनकी, वीरता ही खुद कहानी |