Saturday 6 April 2019

मतदान पर और दोहे,


 हो स्वतन्त्र,निष्पक्ष तो, सफल रहे अभियान,
                मन देना  अनिवार्य  है, तभी  रहेगा  मान.
वोट डालने  से  यहाँ, बनती  है  सरकार,
चुन कर भेझें हम उन्हें,गुणी योग्य दमदार.
                मतदाता जाग्रत अगर, सुद्दढ बने सरकार,
                उदासीन हम  हो गये, होगा कष्ट अपार.
भृष्टाचारी यदि चुनें, तो बिगड़ेगा काम,
सालों तक  हम रोंयगे, वे  जोड़ेंगे दाम.
                 ऐसी हो  जन भावना, जाएँ  अच्छे  लोग,
                 जन प्रतिनिधि समझें हमें,तो होगा उपयोग.


भले लोग यदि घर रहें, तो चुनाव बेकार,
आगे बढ़ कर हम चलें, समझें करें विचार.
             सर्दी, गर्मी, छोड़ कर, आगे आयें लोग,
             अच्छे लोगों को चुनें, तो होगा उपयोग.
घर पर  हम बैठें  रहें, रोयें  पाँचों साल,
पछताना हम को पड़े, तोड़ें हम यह जाल.
              राजनीति अब दे  रही, केवल  यह संदेश,
              समय देख कर आप भी, बदलें अपना वेश.
कुछ चुनाव को जीतते,घर घर बाँटें नोट,
चरण वन्दना तक करें, तब पाते वे वोट.
              कुछ का धन्धा चमकता, कुछ हो जाते फेल,
              अपना अपना भाग्य है, कुछ विधना का खेल.
राजनीति के खेल में, स्वयं करो अनुमान,
कितना इसमें नफा है, कितना है नुकसान.
               जनता तुमसे है बड़ी, समझो तो सम्मान,
               अगर अहं जागा कभी, मानो  झूठी शान.
जनता के दुख दर्द को, जिसने समझा आज,
समाधान यदि  ढूढ़  लें, पहिना उसने  ताज.

                               विक्रम सम्वत साल का, प्रथम दिवस है आज,
              श्री गणेश  का  नाम ले,  करें सभी शुभ काज |

Tuesday 2 April 2019

मतदान


 “मतदान”
मतदाता यह जान लें, आवश्यक मतदान,
प्रजातन्त्र रक्षित  रहे, बने  यही पहिचान.
             जाग्रत करना सभी को, तब होगा कल्याण,
             निर्णय लेना है  यही, रखना  उसका मान.
है चुनाव आयोग की, सबसे यही अपील,
वोट यहाँ बहुमूल्य है, कोई  नहीं दलील.
              भारत में इस वोट से, बनती है सरकार,
              सोचें समझें हम सभी, तो  होगा उद्धार.
जनता ही चुनती यहाँ, जनता की सरकार,
जनता जिम्मेदार  है, चुनना  है अधिकार.
               धर्म, जाति को छोड़ कर, हो कर हम निर्भीक,
               वर्गवाद, भाषा  नहीं,  छोड़े   सारी    लीक.
निर्वाचन में हम करें, शान्ति पूर्ण मतदान,
गरिमा अक्षणु देश की, परम्परा को मान.
               करना है  मतदान को, छोड़  जरूरी काम.
               यह भी आवश्यक बहुत, लोकतन्त्र के नाम.
कितनी भी कठनाई  हो, मिले नहीं आराम,
चुनना प्रतिनिधि है हमें, लें धीरज से काम.
                 बार बार समझा रहे, यह पुनीत  है काम,
                 हम विवेक से काम लें, होगा जग में नाम.
कोई भाषी  हम  रहें, ऐक  समूचा देश,
बिना प्रलोभन से करें,लोभ नहीं लवलेश.
                हम भारत के नागरिक, लोकतन्त्र पहिचान,
                आस्था रक्खें हम सभी, अपना बना विधान.
इसीलिये  समझा रहे, रक्खें  बुद्धि, विवेक,
सोच समझ कर वोट दें, जो चरित्र से नेक.