Saturday 29 February 2020

सियासी दौर में,


सियासी दोर में अब तो,समझ में कुछ नहीं आता,
लड़ाई लड़ रहे अपने, किधर को  कोन कब जाता l
             जिन्हें परवाह घर की है,वे कितने हैं पता किसको,
             अधिकतर स्वार्थ में डूबे, शराफत कौन दिखलाता l
सियासत दोर ऐसा  है, कोई अपना नहीं होता,
कोई इस ओर है आता,कोई उस ओर है जाता l
             बताते जंग में, या प्यार मे, जायज सभी कुछ है,
             किसी फितरत बने मकसद,वही फन रोज अपनाता l
किसी को क्या पता,किस्मत हमारी कब बदल जाये,
भरोसा जिसको रव पर है, वही खुद राह दिखलाता l 

Wednesday 26 February 2020

भाव तो हैं


भाव  तो हैं  किन्तु मेरे पास, वह आव़ाज  तो है  ही  नहीं,
दर्द  तो  है  किन्तु, मेरे पास, नखरे नाज तो  हैं  ही  नहीं |
किस तरह से छाऊँ महफिल में, बता दो तुम मुझे नुस्खा कोई,
गीत तो हैं  किन्तु मेरे पास, स्वर ओर साज तो है  ही  नहीं |

Wednesday 12 February 2020

वेलेंटाइन डे


बेलेन्टाइन डे

बेलेन्टाइन डे  मना, हो  गई  उनसे  भूल,
एक अपरचित को दिया, बस गुलाब का फूल |
            उनसे बोली वह प्रिये, बैठो मेरे पास,
            बेलेन्टाइन डे रहा, होना है कुछ ख़ास |
चलो चलें होटल प्रिये , बैठेंगे एकान्त,
बातें होंगी प्यार की, मन भी होगा शांत |
            नोट हजारा  चढ़ गया, बस  उसके  ही नाम,
            क्या करता वह विवश था, उसका काम तमाम |
घर आ कर वह सोचता, कहां हुई वह भूल,
क्यों मैंने उसको दिया, वह गुलाब का फूल |
             यद्यपि बिगड़ा था बजट, किन्तु फरवरी मास,
              दो दिन कम थे मास में, अब होता आभास |
मार्च अगर होता कहीं, तो उड़ जाते होश,
तंगी रहती तीन दिन, ठंडा  होता  जोश |
              अभी समय है, सोचिये, इस पर करो विचार,
              वह दिन फिरसे आ रहा, बनो नहीं लाचार |