हों सजग हम,यही सबको बताना है,
करो मजबूत खुद को, यह दिखाना है l
हर समय उत्तम समय आता नहीं है,
समय को ही हमें उत्तम बनाना है l
मीलों चले गरीब, सिर्फ भोजन को पाने,
मीलों चले अमीर, सिर्फ बस उसे पचाने l
भोजन मिलता उसे, जिसे विश्वास रहा है,
चलता रहे फकीर, खुदा को ही वह माने l
दुराचरण से सच में मानव सदा घिनोना हो जाता है,
सन्तोषी यदि, घास फूस भी सुखद विछोना हो जाता है l
विज्ञ जनों की यदि हम मानें, हम अपने आचरण सुधारें,
सत्संगति ही पारस मणि है, लोहा सोना हो जाता है |
हँसना, गाल फुलाना बोलो, एक साथ कैसे सम्भव है,
सोना, अरहर को तुम तोलो,एक तराजू क्या सम्भव है |
वायस, पिक का भेद उजागर हो जाता है हर बसंत में,
तुम बेमेल रसों को घोलो, मधुरस पाओ क्या सम्भव है |
सत्यम शिवं सुन्दम की गूँजी है वाणी,
सत्यमेव जयते की हमने पढ़ी कहानी l
ऐक झूंठ सो बार कहें क्या सच हो सकता,
सच तो सच है,यही बात जानी पहिचानी l
वशीकरण का मन्त्र जिन्होंने, मनो योग से साधा,
उन्हें नहीं विचलित कर सकते, किन्चित विघ्न न बाधा |
सिद्धि सदा होती प्रयत्न से, करो साधना मन से,
माना था आराध्य कृष्ण को, जीत सकी थी राधा |
कलुषित असत विचारों को बस धोते जाओ,
बीज सफलता के जीवन में बोते जाओ l
तुममें अहंकार न पनपे बस जीवन में,
है मेरा आशीष अग्रसर होते जाओ l
बस जरा सी बात,खबर बन जाती है, तकरार में,
फिर वही तिल से ताड़ बन जाती है अखबार में |
हवा में उडती खबर इस सियासी दौर में,
कुछ तो उडाओ खबर, आना हमें सरकार में |
पुत्र पिता से जाना जाता यही नियम है,
पिता पुत्र से जाना जाये होता कम है l
पिता धन्य है जिसका पुत्र सवाया होता,
दशरथ जाने गये राम से यह अनुक्रम है l
भोजन,पानी,शूद्ध वायु से,तन का होता पूर्ण विकास,
श्रेष्ठ विचारों से प्रसन्न मन, पहुँच सके ईश्वर के पास |
चिन्तन,मनन,स्वाध्याय से, ज्ञान गुणी संग प्राप्त करें,
मिले प्रेरणा शुभ कर्मो की, प्रभु मिल जाते यह विश्वास|
सेवा भाव समर्पण सीखें, तो समाज यहाँ मान हो,
श्रेष्ठ नियम आचरण करें हम, कार्य हमारे भी महान हों |
आपस में सब बैर भुला कर, सम्मानित अग्रज को करिये,
सभी लोग फिर करें अनुशरण, अपना ऐसा संविधान हो |
हमको क्या करना है जग में, लक्ष्य बनाओ निश्चित,
जीना,मरना तो जीवन क्रम,भटके, हुये पराजित |
आये हैं किस हेतु धरा पर, इस पर करिये मंथन ,
व्यर्थ जायगा यह जीवन ही, फिर क्या मिले कदाचित |