Tuesday, 1 July 2025

 

हमको क्या करना है जग में, लक्ष्य बनाओ निश्चित,

जीना,मरना तो  जीवन क्रम,भटके, हुये  पराजित |

आये  हैं  किस हेतु  धरा पर, इस पर  करिये मंथन ,

व्यर्थ जायगा यह जीवन ही, फिर क्या मिले कदाचित |

Monday, 30 June 2025

                                                   हम  सुधरेंगे, जग  सुधरेगा, यही  बात  है  शास्वत,

दृष्टिकोंण बदलें  हम अपना, इस में  है  अपना  हित |

गुण  अन्वेषण  हो  स्वभाव में, हम समाज में  जाएँ,

घृणा, द्वेष, दुर्भाव त्याग कर, खुद को करें समर्पित |


Sunday, 29 June 2025

यही सत्य है, लालच संग्रह को उपजाता,

और स्वार्थ फिर चिनगारी बन उसे जलाता l

संग्रह तब फिर कहाँ रोक पाया लालच को,

                                                         यह मन  भी  बेकाबू हो कर उसे  बढाता l 

Saturday, 28 June 2025

 

हम  सुधरेंगे, जग  सुधरेगा, यही  बात  है  शास्वत,

दृष्टिकोंण बदलें  हम अपना, इस में  है  अपना  हित |

गुण  अन्वेषण  हो  स्वभाव में, हम समाज में  जाएँ,

घृणा, द्वेष, दुर्भाव त्याग कर, खुद को करें समर्पित |

Friday, 27 June 2025

 

जिसे भरोसा अपने  पर है,वही सफल होता जीवन में,

इसे आत्मविश्वास कहा है, संयम रहता उसके मन में |

बलपौरुषसंकल्प पास में,शक्ति आपके ही भीतर है

सभी सुलझती यहाँ समस्या,समाधान मिलता है क्षण में |

Thursday, 26 June 2025

 

वशीकरण  का  मन्त्र  जिन्होंने, मनो योग से  साधा,

उन्हें नहीं विचलित कर सकते, किन्चित विघ्न न बाधा |

सिद्धि सदा  होती  प्रयत्न  से, करो  साधना  मन से,

माना  था आराध्य कृष्ण को, जीत सकी  थी  राधा |

Wednesday, 25 June 2025

 

आस्थाहीन व्यक्ति का जग में, सच मानो कुछ मान नहीं है,

पक्ष, विपक्ष उभय  में बैठे, उसकी तो  पहिचान  नहीं  है |

कर्मठ, योग्य, साहसी ही तो, सम्मानित होते  हैं  जग में,

भिक्षा  माँग  बड़ा हो  कोई, समझो  उसे  महान  नहीं है |

Tuesday, 24 June 2025

 

विश्व बन्धु की रहे भावना, सत्कर्मो  का  पालन,

बिना स्वार्थ के निर्मल मन से, हो परमार्थ सुहावन |

एक एक  से  ग्यारह होते, तब समाज  बनता है,

उसके प्रति उत्तरदायी  हम, सेवा व्रत  हो  पावन |

Monday, 23 June 2025

 

जन्म भूमि हित  जो मरे, उनका है सम्मान,

लिखा नाम इतिहास में, रखते निज पहिचान l

अनजाने भी  लोग हैं , पर  उनका  है मान,

व्यर्थ कभी जाता नहीं, जनहित में  बलिदान l

Sunday, 22 June 2025

 

झूठ,कपट,छल से जिसने भी, धन वैभव को पाया,

भौतिक लाभ मिल सका उसको, पर पीछे पछताया |

उसका  पतन  अवश्यम्भावी, दुख उपजेगा निश्चित,

मानव  के  अनुरूप  कर्म हों,  दूर  हटेगी   माया |