Wednesday, 20 November 2024

 

कागज पर  ही लुप्त हो गये उनके वादे,

और सामने  केवल  इनके  गलत इरादे l

आदर्शों की कसमें उनकी सभा मन्च तक,

अन्तर मन  काले  हैं, ऊपर  सीधे सादे l

Tuesday, 19 November 2024

 

जिन्दगी  का  मौत   से  ऐसा लगाव है,

बदले  हुये  लिवास  में आना स्वभाव है l

रुक कर सफर में कोई सुस्ताने लगे पथिक,

मैं  सोचता  हूँ मौत   ही  ऐसा  पड़ाव है l

Monday, 18 November 2024

                                                       जीवन  में  संघर्षों का क्रम चलता आया है,

और रात  की  गोद  प्रात  पलता आया है l

चिर अशांति या पीड़ित मन आलोकित करने,

सम्बन्धों  का  स्नेह  सदा  जलता आया है l

जीवन  में  संघर्षों का क्रम चलता आया है,

Sunday, 17 November 2024

 

कलुषित असत विचारों को बस धोते जाओ,

बीज सफलता  के  जीवन  में  बोते जाओ l

तुममें  अहंकार    पनपे  बस  जीवन में,

है  मेरा  आशीष  अग्रसर  होते   जाओ l

Saturday, 16 November 2024

 

पुत्र पिता से जाना जाता यही नियम है,

पिता पुत्र से जाना जाये होता कम है l

पिता धन्य है जिसका पुत्र सवाया होता,

दशरथ जाने गये राम से यह अनुक्रम है l

Friday, 15 November 2024

 

कौन जानता था,कि दुश्मन पर पिघल जाओगे,

देश द्रोहियों  के  विचारों  में  ढल  जाओगे |

आज क्या हो  गया तुम्हें तुम्हारे साथियों को,

विशवास नहीं होता कि  इतना बदल जाओगे |

Thursday, 14 November 2024

कुछ करना है जिसे धरा पर उसे कहाँ विश्राम,

सदा कार्यरत रहने  से ही मिल सकते हैं राम l

भोतिक युग  में आज व्यस्त जीवन है सबका,

                                                 इतना समय कहाँ किसको है, लेले जो हरिनाम 

l                                        

                                                   

Wednesday, 13 November 2024

 

पहली बार पाँव  कँपते  हैं, जब  हम रंग मन्च  पर जाते,

किन्तु सतत अभ्यासी बन जो, कला मन्च का धर्म निभाते l

द्दढता,  साहस,  सदाचरण से, तन मन उत्साहित हो जाता,

जीवन  में  निर्भीक  रहे  जो, सदा सफलता  वे  नर पाते l

 

Tuesday, 12 November 2024

 

लालच बुरी बला है इसको सभी जानते,

अर्ध छोड़ सारे को धावे बुरा मानते l

किन्तु स्वार्थ का संग्रह से नजदीकी नाता,

इसीलिये तो सभी फँसे, बस यही चाहते l

Monday, 11 November 2024

 

यही सत्य है, लालच संग्रह को उपजाता,

और स्वार्थ फिर चिनगारी बन उसे जलाता l

संग्रह तब फिर कहाँ रोक पाया लालच को,

यह मन भी बेकाबू हो कर उसे बढाता l

 

Sunday, 10 November 2024

 

यही सत्य है, लालच संग्रह को उपजाता,

और स्वार्थ फिर चिनगारी बन उसे जलाता l

संग्रह तब फिर कहाँ रोक पाया लालच को,

यह मन भी बेकाबू हो कर उसे बढाता l

Saturday, 9 November 2024

 

काम, क्रोध या घृणा भाव ही, संयम रहित विचार,

चिंता  में  गिरता  है  प्राणी, पाता  कष्ट अपार |

पहिले आत्म निरीक्षण कर लो, दुश्चिन्तायें  छोड़,

करती हमको सद प्रवृत्ति  ही, भवसागर  से  पार |

Friday, 8 November 2024

 

दूसरों की रोटियों पर मत पलो

बाँट कर खाओ,सदा फूलो फलो |

संगठन में शक्ति है,समझो इसे,

एक ही है रास्ता, मिल कर चलो |

Thursday, 7 November 2024

 

                       मन  के  भीतर ज्ञान रूप मेंपरम तत्व का सदा निवास,           

परम शान्ति पाता  है प्राणी, सहज मुक्ति हो यह आभास |

सुख,दुख,हानि,लाभ,यश,अपयश, यही कर्म फल यह ही जान,

दुख, अशांति या क्लेश रहें क्यों? मन में हो उसका विश्वास |

Tuesday, 5 November 2024

 

गेरों  से  भी अपना सा,  दिखलायें  अपनापन,

देश पर निछावर हो हम सबका तन, मन, धन |

वर्ग भेद  छोड़ें सब, हिल मिल  कर  रह पायें,

तो  भविष्य अच्छा  है, होगा तब  अभिनन्दन |