Thursday 27 December 2018

कठिन परिश्रम


       सदा सफलता चरण चूमती, हार न मानो,
       सम्बन्धों को जीवन में व्योपार न मानो.
         चरैवेति ही जीवन का सिध्दान्त सदा से,
         कठिन परिश्रम को जीवन में भार न मानो.


Tuesday 25 December 2018

सत्य निकालें बाहर


 सत्य छिपा है जो शास्त्रों  में, उसे निकालें बाहर,
और मठों  की  दीवालों  से, उसे  हटायें  जाकर l
सम्प्रदाय जो इस पर बस, अधिकार मानते अपना,
 हमे छीन  कर उनसे लाना, करना हमें  उजागर l

Sunday 23 December 2018

सम्मान


भावना में ही निहित भगवान् है , ज़िन्दगी का साथ ही सहगान है l  
दर्द बांटे दींन  हीनों का कोई , तब  कहीं मिलता उसे  सम्मान है l

Friday 14 December 2018

भज लो सीताराम

                  मधुरस बरसेगा स्वयम, जब बोलोगे राम,
                  वाणी में लालित्य  हो, भजलो  सीताराम l
उलझा प्राणी मोह में, जीवन है संग्राम,
वही जीत पाया इसे, जो भजते हैं राम l
 

Tuesday 11 December 2018

भला करो तो लाभ मिलेगा


कंटक मग पर बहती सरिता सबको निर्मल जल मिलताहैं 
पत्थर चोट सहे पर फिर भी हमे वृक्ष  से फल मिलता हैं 
जो पर हित में रहते तत्पर .उनका ही भविष्य उज्वल हैं 
भला करो तो लाभ मिलेगा ,इसका फल प्रति पल मिलता हैं

Monday 3 December 2018

जीवन सदा शद्ध होता है,


स्नान मात्र से तो केवल, नर तन सदा शुद्ध होता है,
जो भी दान करे जीवन में, तो धन सदा शुद्ध होता है l
जिसमें आई सहनशीलता, तो मन सदा शुद्ध होता है,
जो रखता ईमान साथ में, जीवन सदा शुद्ध होता है l

Wednesday 28 November 2018

माँ


  माँ
मेरी ममता मयी मातु, तुमको प्रणाम है,
धरा धाम में, जग में ऊँचा धन्य नाम है l
              गीले में सो कर, सूखे में मुझे सुलाया,
              धूप शीत से बचने को आंचल फैलाया l
              लोरी गा कर, मेरे मन को नई बहलाया,
              कैसे बीत गया बचपन मैं जान न पाया l
निशि वासर सेवा करना ही सदा काम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l \
               तुमने तो कर्तव्य सहज ही सदा निभाया,
               अधिकारों का क्या प्रयोग, इसको विसराया l
               सीमित इच्छाओं में रह कर मन समझाया,
                सबके सुख का ध्यान रखा, उसमें सुख पाया l
अबलम्बन बस सदा ऐक ही रहा राम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                 सुख समृद्धि परिवार जनों की हो मन भाया,
                 व्रत उपवास किये जीवन भर,प्रभु गुण गाया l
                 मेरे हित जप, तप, कीर्तन ही सदा सुहाया,
                  अमृत बाँटा और गरल ही गले लगाया l
नित्य भजन, पूजन का क्रम ही सुबह शाम है
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                  बैठ जिस महफिल में उसमें रंग जमाया,
                  राम नाम का,विविध रंग में भजन सुनाया l
                  राम कथा गा,गाकर सबको यह समझाया ,
                  बृह्म सत्य है, और जगत है मिथ्या माया l
मन्दिर की चौखट से नाता अष्ट याम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                   छोड़ चली तुम मुझे, गला मेरा भर आया,
                   पुनर्जन्म में मुझे मिले बस तेरी छाया l
                    सब कुछ दे कर मुझे,जली धू धूकर काया,
                   माँ की काया को मुखाग्नि ही मैं दे पाया l
माँ तेरे बिन सूना मुझको धरा धाम है,
ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है l
                     अम्ब !आपके आदर्शो को मैं अपनाता,
                     कर्तव्यों प्रति रहूँ समर्पित यह मन भाता l
                     यही माँगता प्रभु से अक्षणु रखना नाता,
                     श्रृद्धा सुमन सदा चरणों में रहूँ चढाता l
सीख स्वर्ग देती रहना,यह गुलाम है,ऐसी ममता मयी मातु तुमको प्रणाम है

Friday 16 November 2018

सत्साहित्य सदा कवि लिखता,


सत्साहित्य सदा कवि लिखता, चाटुकारिता नहीं धर्म है,
वह उपदेशक है समाज का, सच में उसका यही कर्म है l
परिवर्तन लाना  समाज  में, स्वाभाविक बाधाएँ  आयें,
कार्य कुशलता के ही कारण, सम्मानित है, यही मर्म है l

Wednesday 14 November 2018

अच्छा देखें आप,


सब बुराई ही खोजते, अच्छा देखें आप,
उसका प्रतिफल देखिये, पड़े अनूठी छाप |
          जब बुराई हम देखते,मन में हो संताप,
           अच्छाई तो  देखिये, बड़े  बनेगें  आप |
रकम मिले यदि चेक से, करो चेक भुगतान,
नगद पाई है यदि रकम, लौटा दो धर ध्यान |    

Monday 12 November 2018

मिले सफलता,


बारम्बार प्रयास करो  तो, मिले  सफलता,
चिंता और निराशा  छोडो, गई  विफलता.
असफलता से विमुख न हो,संघर्ष करो तुम,
जब अवसर अनकूल,प्रगति पर जीवन चलता |

Tuesday 6 November 2018

शुभ कामना दीपावली

बना कर देह का दीपक,
जलाओ स्नेह की बाती,
मिटे मन का अँधेरा भी,
प्रकाशित हो धरा सारी |
         दिवाली रोज मन जाये,
         विनय है ईश से मेरी,
         प्रभुल्लित आप रह पायें,
         यही शुभ कामना मेरी |

Thursday 1 November 2018


उलझा प्राणी मोह में, जीवन है संग्राम,
वही जीत पाया इसे, जो भजते हैं राम l
                  राह  कटीली  बहुत है, पग पग पर अवरोध,
                राम भजन से सुगम है,  यह मेरा अनुरोध l

Tuesday 30 October 2018

मिले सफलता,


बारम्बार प्रयास करो  तो, मिले  सफलता,
चिंता और निराशा  छोडो, गई  विफलता.
असफलता से विमुख न हो,संघर्ष करो तुम,
जब अवसर अनकूल,प्रगति पर चलता जीवन |

Monday 29 October 2018

लड़ सकें कैसे यहाँ अनरीत से,


तन सुखी रहता सदा जग रीत से,
मन सुखी जो हार बदले जीत में,
है लड़ाई आज भी, जग में यहाँ,
लड़ सकें कैसे यहाँ अन रीत से l

Thursday 25 October 2018

बेबसी


मुँह जुंबा हो बन्द वे ताले मिले,
बाद मेहनत हाथ को छाले मिले.
भूख से  तरपें नहीं  बच्चे  मेरे,
आबरू बेची, तब  निवाले  मिले |

Tuesday 23 October 2018

सदा सफलता चरण चूमती,


सदा सफलता चरण चूमती, हार न मानो,
सम्बन्धों को जीवन में व्योपार न मानो.
चरैवेति ही जीवन का सिध्दान्त सदा से,
कठिन परिश्रम को जीवन में भार न मानो |

Friday 19 October 2018

रावण,


 रावण
ईर्ष्या,द्वेष,दम्भ धरा अगर रहेंगे,
तो फिर अहंकार का रावण यहीं रहेगा |
शोषण, अनाचार से जो लंका बसायगा,
व्यक्ति स्वयं ही अपना कोष भरेगा |
     पौराणिक आख्यान भले ही कथा सार हो,
     यदि यह दुर्गुण हैं समाज में, तो यह मानो,
     अब भी रावण जन्मेगा, हर युग में, सुन लो,
     अनन्तकाल काल तक जीवित होगा,यह भी जानो |
केवल रावण के पुतले को यहाँ जला कर,
सोचें हम, अब हर बुराई ही मिट जायेगी,
ऐसा भ्रम यदि हम पालेंगे, मिथ्या भ्रम है,
जिन्दा बना रहेगा, जनता  बस पछताएगी |


Tuesday 16 October 2018

करो मेहनत,


तुम करो मेहनत अभी से, लक्ष्य हो परहित तुम्हारा,
देश की  हो  सहज सेवा,  धर्म  होता  है  हमारा |
एक जुट हो कर  करेंगे, फल तभी  हमको मिलेगा,
है यही उद्देश्य सबका, हो,  प्रगति  ढूढें  किनारा |

Monday 15 October 2018

सलाह,

 यात्रा पर जब जा रहे , कुछ बन जाते ढाल,
            नाम, पता,कुछ फोन के, नम्बर रखें सँभाल

              हस्ताक्षर ही  तब  करें, पढ़े  उसे  इक बार,
              नहिं विचार इस पर किया, पछताओ हर बार |
 निर्णय लेना बाद में, हट  जाये  जब क्रोध,
निश्चित दुखदायी सदा, मानो यह अनरोध |
                    

Sunday 14 October 2018

काम की बातें


आप प्रशंसा तो करें, जिससे हो तकरार,
बस प्रभाव तब देखिये, माने वह उपकार |
           क्षमा करें इक बार ही, किन्तु नहीं दो बार,
           दया व्यर्थ हो जायगी, क्षमा किया हर बार |

Saturday 13 October 2018

काम के दोहे,


           घर में  यदि व्यंजन बने, रखो  पड़ोसी ध्यान,
           सुख मिलता है सौ गुना, बनती निज पहिचान |
मन में आये माँग कर, वाहन सुख का ख्याल,
ईधन  पूरा  भरा  कर,   लौटाओ   तत्काल |

Thursday 11 October 2018

जीवनोपयोगी बातें,

सब बुराई ही खोजते,अच्छा देखें आप,
              उसका प्रतिफल देखिये, पड़े अनूठी छाप |
जब बुराई हम देखते, मन में हो संताप,
               अच्छाई  तो  देखिये,  बड़े  बनेगें  आप | 

Sunday 7 October 2018

काम की बातें,


कुछ बातें हैं काम की, इनको करिये रोज,
उनका फल फिर देखिये, आप मनाएं मौज.
         कुछ मित्रों के जनम दिन, अगर आपको याद,
          उसे  याद उस दिन करें,  वह भी देगा दाद.        

Tuesday 25 September 2018

लघु कथा


 लघु कथा
 आनन्दप्रकाश को महानगर में आये अभी दस ही वर्ष हुये थे, इन्हीं वर्षों में उन्होंने अपना कारोबार बढ़ा लिया और नगर में ऐक अच्छी कोठी जिसमें कई फलदार वृक्ष थे बनवा ली थी, बेटा अच्छे स्कूल में पढ़ रहा था, पत्नी कुशल गृहणी थी और स्वयं भी “सादा जीवन उच्च विचार” में विशवास रखते थे | ऐक दिन अखबार में वास्तु शास्त्र के बारे में पढ़ थे थे तो सोचा मैं भी अपने निवास के बारे में किसी वास्तु शास्त्री से मिलूँ, यही सोच कर वे कार से ऐक वास्तु ज्ञान वाले पंडित जी के यहाँ पहुँच गये, उन्हें अपना उद्देश्य बताया तो उन्होंने कहा चल कर कोठी देखता हूँ तभी कुछ बता पाऊगा |
           कार में बैठ कर थोड़ी ही दूर चले होंगे कि उन्होंने कर रोक ली, ऐक बालक दोड़ता हुआ सडक पार कर रहा था तो सोचा अवश्य कोई दूसरा लड़का भी होगा उसे भी सडक पार कर लेने दें, आगे ऐक चोराहे के पास फिर कार रोक ली, ऐक बुढ़िया वहां आ गई उसे दस ऐक नोट दे कर कार आगे बढ़ाई, आगे उसने देखा कि रिक्से पर ऐक व्यक्ति मरीज को बिठाये अस्पताल जा रहा है, तभी उसने कार रोक कर पंडित जी से कहा दस मिनट लगेंगे इस व्यक्ति को अस्पताल तक छोड़ते चलें, उसे अस्पताल भेज कर अपनी कोठी पर पहुँचे, पंडित जी के कहने पर बाहर लान में ही बैठ गये, वहीं पास में दो बालक आम के पेड़ पर बैठे आम तोड़ रहे थे, पंडित जी बोले ये बालक आम तोड़ रहे हैं भगाओ उन्हें, आनन्द बोले “पंडित जी यदि उन्हें भगाने के लिये आवाज लगाई तो उनके गिरने का डर है, आम खा लेने दो अपने आप चले जायेंगे”|
           अब आनन्द ने पंडित जी कोठी देखने के लिये कहा तो पंडित जी बोले “आनन्द तुम जैसे अच्छे विचार वाले के यहाँ कोई वास्तु दोष नहीं हो सकता, और यदि होगा भी तो अच्छे व्यवहार और श्रेष्ठ आचरण के कारण स्वयं नष्ट हो जायेगा”| चलो अब मुझे मेरे मकान पर छोड़ दो,पर आनन्द की पत्नी ने उन्हें भोजन करा कर और दक्षिणा दे कर ही उन्हें जाने दिया |    


Tuesday 18 September 2018

करें हम जागरण


जब कभी भी यदि बिगड़ते आचरण,
स्वार्थ लिप्सा का तने यदि आवरण l                                                  तो  आज  मानव धर्म  समझाएं उसे,
दायित्व है अपना, करें हम जागरण l

Thursday 13 September 2018

पापों का परिणाम जनता,


पापों का  परिणाम जानता, व्यक्ति मृत्यु से  है  घवड़ाता ,
 व्याकुल हो  डरता रहता है, इसीलिये  हर  क्षण पछताता.
 धर्म, कर्म, सत्संग करोगे, तो भविष्य  भी  होगा उज्ज्वल,
 यदि यह हो विश्वास हृदय में, स्वर्ग,मोक्ष ही वह नर पाता.


Friday 7 September 2018

आपका दिल

इस सदी में, आपके चेहरे  पे  भी मुस्कान है,
पूंछता हूँ,दिल तुम्हारा क्या बना पत्थर का है ?

उपकारी ही धन्य होते हैं.


फल देतें  हैं  सदा सभी को, वृक्ष नहीं कुछ खाते,
धरती   को सिंचित करते ही,बादल फिर उड़ जाते l
प्यास बुझाती प्यासे की ही, सरिता लब जल पीती,
पर  उपकारी  जो  होते  हैं, धन्य  वही  हो पाते l

Sunday 2 September 2018

जहाँ चाह है, वहीं राह है.


इर्ष्या मन में जगे, समझ लो यही डाह है,
पाने  की  इच्छा हो मन में, यही चाह है l
प्रगति पन्थ पर बढने की जिज्ञासा मन में,
सत्य  यही  है, “जहाँ चाह है  वही राह है”l

Wednesday 29 August 2018

श्रृद्धांजली

श्री पूरन  जी जिला जालौन के प्रसिद्ध कवि एवं रंगकर्मी थे,

पूरन जी  अब  नहीं रहे  हैं, कौन किसे  बतलाये,
पंचतत्व  में  लीन  हो  गये,  इसे  कौन  झुठलाये.
अब तो पूर्ण विराम लग गया, मौन हुये हैं हम सब,
साहित्य जगत में  सूनापन है, कौन राह दिखलाए.
                      डा० हरिमोहन गुप्त 

Friday 24 August 2018

भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेई सृद्धान्जलि,


भारत रत्न स्मृति शेष श्री अटल बिहारी बाजपेई
श्रृद्धांजलि
ओ महान कवि,युग द्रष्टा,ओजस्वी वक्ता,
जो जीवन में, सदा नये रंगों  को भरता.
नई दिशा  दी भारत को, आगे बढ़ने की,
ओ दधीच! तुम जैसा कोन य्हन्हो सकता?
           मौत खड़ी हो जहाँ सामने उसको भी ललकारा,
           रुक जाओ  “स्वाधीन दिवस” भारत  का प्यारा.
           कल चल सकता, विजय “काल के कपाल”पर है,
           ओ नायक ! अब  बोझ उतारा तन  का  सारा.
साहस इतना  अडिग, हिमालय  से  भी  ऊपर,
तुम गम्भीर कि सागर स्वयम सिमिटता भीतर.
पथ संचालक ! तुमने अपनी राह बनाई,
ओ सर्वोत्तम !
नई  चेतना,  नई  दिशा  दी  आगे  बढ़ कर.
            सभी जानते  जो  भी आया गया यहाँ से,
            राम, कृष्ण भी देश छोड़ कर गये जहाँ से.
            उसी लीक पर तुमने भी चल कर दिखलाया,
            ओ शुभ चिन्तक ! तुम भी रहते यहाँ कहाँ से.
“मैं जी भर जिया,लौट कर आऊंगा यह वादा,
वाक्य  प्रेरणा श्रोत,  बात  सीधी  है  सादा.
“प्यादे से  बन कर वजीर” यह ही दिखलाया,
मन  में  हो विशवास और हो  नेक  इरादा.
            लेकिन तुमने जाते जाते  यह दिखलाया,
            भारत अब  सिरमोर जहाँ में  ऐसा पाया.
            उत्तराधिकार दे करके जिसको भार दिया है,
            राह आपकी  चल कर  जिसने गौरव पाया.
आओगे तुम नये रूप में, यह मन कहता,
इस पीढ़ी में आज यही तो सपना पलता.
देखोगे तुम  नये रूप में  इस भारत को,
ऐसा द्रढ़ विश्वास  बनोगे  कर्ता  धरता.
             गीतों के माध्यम से  जो दी थी काव्यांजलि,
             जाने से अब क्या कह दें ? रीती है अन्जलि.
             नये ढंग से  अब  गीतों  को  लिखना होगा,
             भारत रत्न “अटल” तुमको सच्ची श्रृद्धांजलि .
कैसे मानूँ  कभी अटल जी मर  सकते  हैं,
उनके जो सिध्दान्त,उन्हीं पर यदि चलते हैं.
तो मानो यह सत्य, अटल जी नहीं मरेगें,
पद चिन्हों में, शीश आज सबके झुकते हैं.
               डा० हरिमोहन गुप्त