Sunday 24 October 2021

करवा चौथ हो या ईद का चाँद

 

         करवा चौथ हो, या ईद हो,

      चन्द्र दर्शन को शुभ जानते,

      दोनों   ही धर्म  अपनाकर,

      सब अपना सौभाग्य मानते |

                        सभी में  बढ़ता है सद्भाव,

                       स्वयं ही आती सहज निकटता,

                      दूरियाँ  होती  जाती   दूर,

                       और  बढती है सदा  मधुरता |

      इसीलिये तो  आदि काल से,

      बना हुआ अस्तित्व तुम्हारा,

      जब समान द्रष्टि हो सब पर,

      है  महत्व  स्थाई  तुम्हारा |

 

                        ये  सन्देश  प्रेम  का  देते,

                        समरसता  का  पाठ  पढाते,

                        हिन्दू हो  या मुसलमान हो,

                     सब मिलजुल कर ही गुण गाते |

      सभी  चाँद  से  आशिष  पाते,

      और  चन्द्र  तेरे  गुण  गाते,

      ऐसा  व्रत  त्योहार   मनाते |

        करवा चौथ हो, या ईद हो,

      चन्द्र दर्शन को शुभ जानते,

      दोनों   ही धर्म  अपनाकर,

      सब अपना सौभाग्य मानते |

                        सभी में  बढ़ता है सद्भाव,

                       स्वयं ही आती सहज निकटता,

                      दूरियाँ  होती  जाती   दूर,

                       और  बढती है सदा  मधुरता |

      इसीलिये तो  आदि काल से,

      बना हुआ अस्तित्व तुम्हारा,

      जब समान द्रष्टि हो सब पर,

      है  महत्व  स्थाई  तुम्हारा |

 

                        ये  सन्देश  प्रेम  का  देते,

                        समरसता  का  पाठ  पढाते,

                        हिन्दू हो  या मुसलमान हो,

                     सब मिलजुल कर ही गुण गाते |

      सभी  चाँद  से  आशिष  पाते,

      और  चन्द्र  तेरे  गुण  गाते,

      ऐसा  व्रत  त्योहार   मनाते |

 

Sunday 17 October 2021

 

 रावण

         ईर्ष्या,द्वेष,दम्भ धरा पर  अगर रहेंगे,

      तो फिर अहंकार का रावण यहीं रहेगा |

     शोषण, अनाचार से जो लंका बसायगा,

     व्यक्ति स्वयं ही जब जब अपना कोष भरेगा |     

     पौराणिक आख्यान भले ही कथा सार हो,

     यदि यह दुर्गुण हैं समाज में, तो यह मानो,

     अब भी रावण जन्मेगा, हर युग में, सुन लो,

     अनन्तकाल काल तक जीवित होगा,यह भी जानो |

     केवल रावण के पुतले को यहाँ जला कर,

    सोचें हम, अब हर बुराई ही मिट जायेगी,

    ऐसा भ्रम यदि हम पालेंगे, मिथ्या भ्रम है,

    जिन्दा बना रहेगा, जनता तो बस पछताएगी |

 

Saturday 2 October 2021

  श्री लाल बहादुर शास्त्री—

गांधी के सच्चे अनुयायी, थे करुणा के सागर,

रहे सत्य के सदा प्रवर्तक, सबके प्रति था आदर l

गूँज रहा है “जय जवान का,जय किसान का नारा”

भारत के प्रधान मंत्री थे, ऐसे लाल बहादुर l

 

    सत्य,अहिंसा, क्षमा,दया से, भरे हुये थे गागर,

    सादा जीवन, उच्च विचारों की ओढ़ी थी चादर l

    देश बड़ा है,इसी सोच में, दी प्राणों की आहुति,

    थे प्रधान मंत्री पर समझा स्वयं देश का चाकर l

 

ये बुझी हुई शमा पुन: जल सकती  है,

तूफान में घिरी किश्ती संभल सकती है l

मायूस न होना, जिन्दगी में  कभी तुम,

ये किस्मत है, कभी भी बदल सकती है l

 

वक्त पर ही तुम अपनी बुरी आदत बदल लो,

नहीं तो  बदल  जायेगा  तुम्हारा  वक्त  भी l 

 

अपनापन हर कोई दिखाता, विरला ही बस साथ निभाता,

पर अपना है कौन यहाँ पर, इसको तो बस वक्त सिखाता |

, श्री लाल बहादुर शास्त्री—

गांधी के सच्चे अनुयायी, थे करुणा के सागर,

रहे सत्य के सदा प्रवर्तक, सबके प्रति था आदर l

गूँज रहा है “जय जवान का,जय किसान का नारा”

भारत के प्रधान मंत्री थे, ऐसे लाल बहादुर l

 

    सत्य,अहिंसा, क्षमा,दया से, भरे हुये थे गागर,

    सादा जीवन, उच्च विचारों की ओढ़ी थी चादर l

    देश बड़ा है,इसी सोच में, दी प्राणों की आहुति,

    थे प्रधान मंत्री पर समझा स्वयं देश का चाकर l

 

ये बुझी हुई शमा पुन: जल सकती  है,

तूफान में घिरी किश्ती संभल सकती है l

मायूस न होना, जिन्दगी में  कभी तुम,

ये किस्मत है, कभी भी बदल सकती है l

 

वक्त पर ही तुम अपनी बुरी आदत बदल लो,

नहीं तो  बदल  जायेगा  तुम्हारा  वक्त  भी l 

 

अपनापन हर कोई दिखाता, विरला ही बस साथ निभाता,

पर अपना है कौन यहाँ पर, इसको तो बस वक्त सिखाता |

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श्रद्धांजलि

  एक प्रश्न जाग्रत था मन में,

     मानव क्या जिन्दा रहता है,

     मर कर भी इस जग में ?

     रुक जाती है सांस,हृदय स्पंदन रुकता,

     लेकिन कुछ के वाणी के स्वर,

     गूँज रहे रग रग में |

     मेरा कुछ ऐसा विचार है,

     मर जाती है देह, मरे मर जाये तो क्या,

     जग के सम्मुख,

     प्राणी के ही कर्म और गुण जिन्दा रहते,

     जब तक हममें,

     सत्य,अहिंसा,क्षमा,दया का भाव,

     धरा पर धर्म कहाये,

     विश्व बन्धु का पाठ,

     परस्पर प्रीति बढा कर,

     सन्तत ऐसी फसल उगाये |

     हिन्दू,मुसलमान,ईसाई,

     हरिजन को भी गले लगा कर,

     कहें परस्पर भाई, भाई |

     ऐसे स्वस्थ विचार अगर जीवित हैं मन में,

     तो गांधी सचमुच जिदा हैं, हम सबके ही तन में |

     इसीलिये तो शायद गांधी,

     नहीं मरे हैं,नहीं मरेंगे,

     युग युग तक उनके चरणों में,

      जाने कितने शीश झुकेंगे |    

  


 

गीत में  बस कल्पना साकार हो जाये,

जीत में  बस साधना स्वीकार हो जाये l

हम बदल सकते यहाँ इतिहास के पन्ने,

प्रीत में  बस वासना यदि क्षार हो जाये l