Friday 29 November 2019

प्रति फल,


कंटक मग पर बहती सरिता सबको निर्मल जल मिलताहैं 
पत्थर चोट सहे पर फिर भी हमें वृक्ष  से फल मिलता हैं 
जो पर हित में रहते तत्पर .उनका ही भविष्य  उज्वल हैं 
भला करो तो लाभ मिलेगा ,इसका फल प्रति पल मिलता हैं

Saturday 23 November 2019

जुगुनू जैसा है प्रकाश बस,


जुगनू जैसा है प्रकाश बस,
मिटा न तिल भर भी अँधियारा ,
गर्व बढाया मन में इतना,
सूरज को तुमने ललकारा।
        यह गर्वोक्ति न ले लो मन में,
        तुम्हीं बड़े हो सारे जग में,
        यहाँ किसी ने भी नापी थी,
        सारी धरती को इक पग में।
इसीलिये तुमसे कहता हूँ,
बाँट सको बाँटो उजयारा।
         अंहकार ही था रावण को,
         स्वर्ग नसेनी लगवाउगा,
         मैं त्रैलोक्य जीत कर पल में,
         विजय पताका फहराउगा।
वह रावण भी नहीं रह सका,     
सागर तो अब भी है खारा।
           बहुत बड़ा हूँ सागर ने जब,
           अंहकार मन में उपजाया,
           ऋषि अगस्त ने एक घूँट में,
           सोख लिया, उसको समझाया।
          
जग में ऐसे बहुत लोग हैं ,
जिनने बदली युग की धारा।    
           मृत्यु जीतने के ही भ्रम में,
           छै पुत्रों को जिसने मारे,
           नहीं सफल हो पाया फिर भी,
           वह विपत्ति को कैसे टारे।
नहीं कंस रह पाया जग में,
और कृष्ण ने उसे पछाड़ा।
            परोपकार का भाव रहे तो,
            हो जाये ज्योर्तिमय यह जग,
            अंधकार हो दूर जगत से,
            रहे प्रकाशित अब सारा जग।
सूरज ने तम को हरने हित,
जलना ही उसने स्वीकारा।
इसीलिये तुमसे कहता हूँ
बाँट सको बांटो उजयारा |

Wednesday 20 November 2019

बड़ों से जुडो

 अगर चाहते  प्रगति, बड़ों से  खुद  को जोड़ो,
  काम आज का आज, नहीं कल पर तुम छोडो |
  पूरा  जीवन  पड़ा  हुआ  है, कल   कर लेंगे,
  यही  भाव   रोड़ा  बनता  है,  उसको  मोड़ो |
बारम्बार प्रयास करो  तो, मिले  सफलता,
चिंता और निराशा  छोडो, गई  विफलता.
असफलता से विमुख न हो,संघर्ष करो तुम,
जब अवसर अनकूल,प्रगति पर जीवन चलता |
 

Sunday 17 November 2019


            बाल दिवस
कोई राही बालक मुझको,
भीख माँगता मिल जाता था,
मैं बस उसको पास बुला कर,
इसी बात को समझाता था,
भीख माँगना बुरी बात है,
श्रम जीवी बन कर तो देखो,
मेहनत के बल जीना सीखो |
         ____
बाल दिवस, गोष्ठी आयोजित,
“रोको बालक श्रम” शीर्षक है |
अगर राह में कोई बालक,
श्रम करता ही दिख जायेगा,
उससे मैं अब क्या कह पाऊँ?
बालक छोडो तुम इस श्रम को,
जाओ  अब  स्कूल पास में,
यही उम्र तो पढने की है |
      _____
भरे गले से वह कहता है,
बूढ़ी माँ बीमार हमारी,
उसे समय से मिले दवाई,
तो श्रम अब अनिवार्य मुझे है,
घर पर छोटी बहिन अभी है,
तीनों को रोटी खाना है,
मजबूरी, श्रम तो करना है |
तुम्हीं बताओ, मैं कैसे अब,
चला जाऊं स्कूल, छोड़ कर-
माँ को और बहिन को,बोलो-
जा सकता स्कूल, बताओ ?
बाल दिवस प्रति वर्ष आयगा,
बस प्रश्नों को छोड़ जायगा |

Friday 8 November 2019

गजल


राम नामी ओढ़ कर, मैं ठग रहा होता जगत को,         
किन्तु मानव धर्म से  ही, हारता हरदम रहा बस l
              चाहता तो यह सफर मैं, पार कर लेता मजे से,
              गैर की  ही  रहनुमाई, ढूढ़ता हरदम  रहा बस l
मन्च के सम्मान सब मैं, प्राप्त कर लेता सहज ही,
चाटुकारों  से  हमारा, फासला  हरदम  रहा  बस l
              लूटता  मैं  आबरू,  झूठे  दिलासों  के  सहारे,
              किन्तु जो अन्तस् में बैठा, रोकता हरदम रहा बस l
आतंक का साया बना कर, चाहता यश कीर्ति पाना,
भाई चारा  प्रेम  ही, पुचकारता  हरदम  रहा  बस l
              स्वार्थ का सम्बल लिये मैं, पहुँच जाता बहुत ऊपर,
              स्वाभिमानी मन मेरा, धिक्कारता हरदम  रहा बस l
जो लुभाये मन्च को, सच वह कला मैं जानता था,
किन्तु अन्तरद्वन्द ही, दुतकारता हरदम रहा बस l
              झूठ के पेबन्द  से, सच  को छिपाना चाहता था,
              किन्तु अन्तर्मन मेरा, झकझोरता हरदम रहा बस l

Friday 1 November 2019

सभी जगह हैं राम,

                 सारा जग  है  राममय, सभी जगह हैं राम,
                मन निर्मल यदि आपका, तो बसते अभिराम l
चलते फिरते भी भजो, मन ही मन श्री राम,
बिगड़ेगा कुछ  भी  नहीं, बन जाते  हैं काम l
                 चित्र राम का मन बसे, होगा हर्ष अपार,
                 सिया राम  की छवि रहे, होगा बेड़ा पार l
राम कथा अमृत कथा, विष को करती दूर,
विषय वासना हट सके, यश मिलता भरपूर l