Monday 25 January 2021

 

इस वर्ष गणतन्त्र दिवस को  कुछ ऐसे मनाएं,

आजादी का अर्थ  सभी  को  हम  समझायें l

संकल्प दिवस  है  आज, प्रण  तो लेना होगा,

आतंकवाद से आज सभी वधाएं जड़ से मिटायें

 

अभिनन्दन गणतन्त्र दिवस का करते हम शत वार,

शान्ति ऐकता  के  माध्यम  से  बने ऐक  परिवार l

पंच शील के सदा समर्थक, सत्य अहिंसा अनुयायी,

भारत  वासी  विश्वबन्धु  में  बँधने  को  तैयार l

 

आपका सानिद्ध पाऊं, बस यही आशा  रही है,

आपका गुण गान गाऊँ, यही जिज्ञासा रही है l

पर कहाँ पूरी हुई है, चाह मन की सोचता जो,

भाग्यशाली हैं  वही, जो पूर्ण अभिलाषा रही है l

 

सभी चाहते सदा करें  सब, उनकी ही अनुशंसा,

उनको  चाटुकार  ही  घेरें, रहती  ऐसी  मंशा l

हर बुराई पर  परदा डालें, गाएं  सब गुणगाथा,

सदा भली लगती है सबको, अपनी आत्म प्रशंशा l

 

ईश्वर के  द्वारा ही  सब  सम्पादित होता है ,

लेकिन पौरुष मेरा  नहीं  विवादित  होता  है l

रटे हुये को पढना क्या, कुछ नया करें हम भी,

तो  उत्साहित जीवन  भी, आनन्दित  होता है l

Friday 22 January 2021

 

पावन धरती

 

भारत की पावन धरती का, बार बार अभिनन्दन,

शत शत बार नमन करते हैं, करते हम सब वन्दन |

       सदा देव गण इच्छुक रहते, भारत में आने को,

       सुर सरिता के पास बैठने, चरणामृत पाने को |

भारत माँ है पूज्य हमारी, उसके माथे चन्दन,

हम अपना सौभाग्य मानते, अर्पित करते तन मन |

       सूर्य,चन्द्र भी पहरा देते, जगमग करें सितारे,

        हमको ऊर्जावान बनाते, जिससे दुश्मन हारे |

धन्य हमारी पावन धरती, जहाँ बसा वृन्दावन,

गाय हमारी माता सबकी, पूजित है गोबर्धन |

        अडिग हिमालय शीष मुकुट है,सागर चरण पखारे,

        विन्ध्याचल की बनी करधनी, प्रान्त सभी गलहारे |

माँ का ऋण ही हमें चुकाना, दिखलायें अपनापन,

हिमिगिरि की रक्षा करना है, सावधान हों प्रतिक्षण |

        अपना है कश्मीर सदा से, उसके गुण हम गायें,

        कोई कितनी बाधा डाले, वे सब मुँह की खाएं |

सब देशों से न्यारा भारत, पूजित उसका कण कण,

रक्षा का दायित्व हमारा, इसका लेते हम प्रण |

        तीन बार पाक हारा है, फिर भी आँख दिखाता,

        खुद बर्बाद हो रहा फिर भी, चीन उसे बहकाता |

उसके टुकड़े टुकड़े कर दें, हट जाये दुख दारुण,

पाक मिलेगा फिर भारत में, ऐसे बनते कारण |

        आतंकी के बल पर शायद, उसको ऐसा था भ्रम,

        दुनिया भर में हुआ अकेला, हटा सामने से तम |

आओ पूजो फिर भारत को, क्यों करते हो क्रन्दन

मिलकर हम तुम साथ बढ़ेंगे, होगा तब सम्बर्धन |

    हम अनेक में एक बने हैं, यह सिद्धान्त हमारा,

    नहीं धर्म में हमें बाँटना, मानव धर्म तुम्हारा |

विश्व बन्धु का भाव भरेंगे, तब होगा परिवर्तन,

विश्व गुरु भारत अब फिरसे, होगा यह आकर्षण |

       षट ऋतुयें भारत में होती, ऐसा देश हमारा,

        प्राकृतिक सौन्दर्य यहाँ पर, काशमीर है प्यारा |

सीमाएं रक्षित हैं इसकी, रहते हैं ज्ञानी जन,

वन्दनीय भारत है अपना, मंगल माय हो जीवन |

हो अखंड भारत का नारा, इसका ले लें हम प्रण,

भारत हो सिरमोर जगत में, करते हम अभिनन्दन |