Tuesday 31 July 2018

कद बड़ा है आपका बस, शाम की परछाई सा


कद बड़ा है आपका बस, शाम की परछाई सा,
असलियत का तो पता, सूरज सुबह बतलायगा l
 सत्य होंगे सब उजागर, दोपहर कल  धूप में,
ध्यान से जब देखना,तो खुद समझ आ जायगा l
                ओढ़ करके यह लबादा, ढोंग का कब तक चलेगा,
                तथ्य जब होंगे उजागर, तब  पता  चल जायगा l
दाग  चेहरे  पर  लगा है, क्या पता है आपको,
आइना बस देखियेगा, खुद व खुद दिख जायगा l
                आप गदगद हैं कि शायद, आपका कद बढ़ रहा,
                दूसरे नापें  ऊँचाई,  तब  कोई   कह  पायगा l
मैं  बड़ा  हूँ, तू  नहीं है, यह लड़ाई आज भी,
सब बराबर हैं जमी पर, कौन यह समझायगा l
                पैर छू लूँगा बड़े के, स्वयम छोटा मान  कर,
                कौन है सबसे बड़ा, यह तो पता चल जायगा l
चार कदमों बाद ही, कहने लगे हम थक गये,
जिन्दगी लम्बा सफर, कैसे  कहो कट पायगा l
                 आप झुक कर तो मिलें, बस आपसे जो भी मिले,
                 आपका कद  तो  बड़ा बस, आप  ही हो जायगा l   


Monday 23 July 2018

श्रद्धांजलि

श्रद्धेय श्री नीरज को श्रद्धांजलि


जिन्दगी  का मौत  से  ऐसा  लगाव  है,
बदले हुये  लिवास  में  आना स्वभाव है.
थककर सफर में कोई सुस्ताने लगे पथिक,
मैं  सोचता  हूँ  मौत  ही  ऐसा  पडाव  है.
                            डा० हरिमोहन  गुप्त,

Saturday 21 July 2018

करे तीर का काम,


                      मिथ्या आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,
                      स्वाभाविक यह प्रतिक्रया, उल्टा हो परिणाम
                             धन संग्रह नहिं धर्म से, उसका करिये त्याग,
                             यथा सर्प  की  केचुली, नहीं  लगेगा  दाग l

Tuesday 17 July 2018

अब पुराना होरहा है यह मकान


 अब पुराना हो रहा है यह मकान,
                    देखो खिसकने लगीं ईटें पुरानी,
                    झर रहा प्लास्टर कहे अपनी कहानी।
           ज रही अब मिटाने पुरानी शान,
          अब पुराना हो रहा है यह मकान।
                     जब बना था मजबूत थे सब जोड़,
                     रंग रोगन अच्छा रहा बेजोड़।
         सोचता था यह बहुत मजबूत है,
         समय से ,यह खो रहा पहिचान।
         अब पुराना हो रहा यह मकान।
                    जिन्दगी बस इसी ढ़ंग से है बनी,
                    नित नई हैं अब समस्यायें घनी।
         अमर ऐसी कोई काया नहीं,
         सामने दिख रहा, पास में शमशान।
         अब पुराना हो रहा है यह मकान।
                    फट रहे हैं वस्त्र अब वे हैं पुराने, हों नये ही वस्त्र अब मन को लुभाने।
         जो यहाँ आया, गया जगरीत यह, धन्य वह, मिले जाते समय सम्मान।
        अब पुराना हो रहा है यह मकान। 

Friday 13 July 2018

मिले राम का धाम


राम चरण रज पा सके, कविश्री “तुलसीदास”,
चरण वन्दना हम  करें, राम  आयंगे  पास l
                    
                      रामचरित मानस लिखा, तुलसी के हैं राम,
                      गुण गायें हम राम के,मिले राम का धाम l

Wednesday 11 July 2018

कर्म किये जा,


 धर्म आचरण का पालन कर, धर्म जिये जा,
अहंकार को  छोड़, छिपा यह  मर्म जिए जा.
काम, क्रोध, मद, लोभ, सदा से शत्रु रहे हैं,
फल की इच्छा क्यों करता, तू कर्म किये जा.

Monday 9 July 2018

पारस मणि श्री राम


                        पारस मणि श्री राम हैं, सत्संगति संयोग,
                        कंचन मन हो आपका,करलो तुम उपयोग l
                राम नाम की ओढनी, मन में स्वच्छ विचार,
                फिर देखो  परिणाम  तुम, बहे प्रेम की धार l

                       

Thursday 5 July 2018

जितनी कम जिसकी इच्छाएं


जितनी कम जिसकी इच्छायें, उसकी सुखी  रही है काया,

विषय भोग में लिप्त रहा जो, उसने दुख को ही उपजाया
.
सब ग्रन्थों का सार यही है, सुख दुख की यह ही परिभाषा,

तृष्णा, लोभ, मोह को छोड़ो, संतों ने  यह  ही दुहराया.

Monday 2 July 2018

सामर्थ है तुममें


फौलाद की   चट्टान को भी फोड़ सकते हो,

कोई कठिन अवरोध हो तुम तोड़ सकते हो l

तुम युवा हो, बस इरादा नेक सच्चा चाहिये,

सामर्थ  है तुम में, हवा रुख मोड़ सकते हो l