Wednesday 31 January 2024

 

 रुको नहीं  बढ़ते चलो, मंजिल  होगी पास,

               तुम उंचाई छू सकोगे, मन में यदि विश्वास l

 

      करते यदि हरि स्मरण, मिल जाता मनमीत,

     अब पछताना व्यर्थ है, जुड़ी    उससे प्रीति l

Tuesday 30 January 2024

 

महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धान्जलि--

क प्रश्न जाग्रत था मन में,

मानव क्या जिन्दा रहता है,

मर कर भी इस जग में ?

रुक जाती है श्वास.

हृदय स्पन्दन रुकता,

लेकिन कुछ के वाणी के स्वर,

गूँज रहे रग रग में |

मेरा कुछ ऐसा विचार है,

प्राणी के ही कर्म और गुण जिन्दा रहते,

मिट्टी की यह देह मरे,मरे जाए तो क्या?

जग के सम्मुख वाणी के स्वर,

मानवता जिन्दा रहती है |

जब तक हममें,

सत्य, अहिंसा, क्षमा, दया का भाव,

धरा पर धर्म कहाए,

विश्व बन्धु का पाठ, परस्पर प्रीत बढ़ा कर,

सुख समृद्धि, शान्ति हित जीवन,

सन्तत ऐसी फसल उगाये |

हिन्दू,मुसलमान, ईसाई,

हरिजन को भी गले लगा कर,

कहें परस्पर भाई भाई,

ऐसे स्वस्थ विचार अगर जीवित हैं मन में,

तो गान्धी जिन्दा हैं मानो,

हम सबके ही तन में |

इसीलिए तो शायद गांधी नहीं मरे हैं,

नहीं मरेंगे |

युग युग तक उनके चरणों में,

जाने कितने शीश झुकेंगे |

       डा0 हरिमोहन गुप्त

Monday 29 January 2024

 शील  प्रमुख  संसार में, रक्खें  हम  सामर्थ,

       शील नष्ट यदि हो गया, जीवन का क्या अर्थ l

 

                उसे ढूढने  के  लिए, पढ़े  अनेकों  ग्रन्थ,

                 उससे मिलना सुलभ है, कोई भी हो पन्थ l

 

 

Sunday 28 January 2024

 

 निज हित जैसा चाहते, दो परहित भी मान,

     जो दोगे  सो पावगे, ज्यों का  त्यों सम्मान |

 

             भौतिक सुख में सुख नहीं, सच्चा सुख है दान,

             निकल तिमिर अज्ञान से, मिल जाएँ भगवान |

 

Saturday 27 January 2024

 

प्रभु की महिमा, नाम गुण, देखें सदा चरित्र,

     श्रृद्धा से नित ही सुनें, भगवत कृपा पवित्र |

 

             मन में चिन्तन ईश का, नित्य करें गुणगान,

             जो उसको  सुमरे सदा,  हृदय बसें  भगवान |

Thursday 25 January 2024

 

 स्तुति पा हर्षे नहीं, ना निन्दा सुन शोक,

            दोनों में समभाव हो, वह महान इह लोक |

    

     प्रभु की महिमा, नाम गुण, देखें सदा चरित्र,

     श्रृद्धा से नित ही सुनें, भगवत कृपा पवित्र |

 

Wednesday 24 January 2024

 

               आधी  रोटी  खाइये,  रहे  इरादा  नेक,

              तो पूरी तुम  खावगे, आडम्बर तो फेक l

 

    लोभ,मोह, आलस्य, मद, पर निन्दा हैं दोष,]

     जिज्ञासा,संयम, लगन, ध्यान,शील, सन्तोष l]--  

 

           खाएं हरदम बाँट कर, बोलें रसमय बोल,

      प्रेम पगे,अति नम्र हो, यही धर्म अनमोल |

Tuesday 23 January 2024

  निद्रा ,मैथुन, भूख, भय, नर पशु  में है  ऐक,

         बुद्धिमान पशु से अधिक,नर में अधिक विवेक l

 

     फिर भी पशु संयम करें, नर को है धिक्कार,

    चारों  में  है  अतिक्रमण, गलती  बारम्बार l 

Monday 22 January 2024

  नैतिक जो उपदेश हैं, करें सभी अभ्यास,

              जीवन संभलेगा तभी, होगा बुद्धि विकास l

 

        विकृति आये सोच में, मन में पनपे स्वार्थ,

        कर्तव्यों  से  विमुख जो, कैसे  हो परमार्थ l 

Sunday 21 January 2024

 जो  चाहो   ऐकाग्रता,  इच्छा  शक्ति  प्रधान,

             मन प्रसन्न यदि आपका, सुख दुख ऐक समान l

 

       पर निन्दा  से  जो बचा, रक्खा जिसने मौन,

      तन मन जिसका शुद्ध है, उससे बढ़ कर कौन l   

Saturday 20 January 2024

                                  उसे ढूढने  के  लिए, पढ़े  अनेकों  ग्रन्थ,

                 उससे मिलना सुलभ है, कोई भी हो पन्थ l

 

        सम्प्रदाय  हैं बहुत  से, अपना  अपना  ज्ञान,

        निर्बल को प्रभु मिल सका, उसका रक्खा मान l    

Friday 19 January 2024

यही बात बस प्रमुख है, सबने पढ़े पुराण,

      सुख दुख में समभाव हो,गीता पढो कुरान l

           

             शब्द तौल कर बोलिये, भाषा शिष्ट समान,

              मन्त्र मुग्ध संजीवनी, मिले  तुम्हें सम्मान l 

Thursday 18 January 2024

 

 यदि घमण्ड बढ़ता कभी, होता नष्ट विवेक,

      अहंकार बस  छोड़ दो, यह  सलाह है नेक l

 

             धैर्य, धर्म , निर्भीकता, सभी  बुलाएँ  पास,

            त्यागें यदि हम भीरुता, बने परिस्थिति दास l

 

Wednesday 17 January 2024

 

 मन में यदि इच्छा प्रबल, करते रहें प्रयास,

        साहस  बाँधे पाँव  में,  रहे  सफलता दास l

 

             यही नर्क के द्वार  हैं, लोभ, मोह, अरु काम,

             विजय पा सका जो कभी, जग में पाया नाम l

Tuesday 16 January 2024

  मीठी वाणी  ही  रही, जीवन  में  अनमोल,

       जीत सकेंगे सभी को, सरल सहज मृदु बोल l

 

             स्वार्थ सिद्धि में आपने, अगर किया अनुबन्ध,

              तो समझो  परिणाम तुम, क्या होंगे सम्बन्ध l

Monday 15 January 2024

 लोभ मोह को त्याग कर, करते  जो सत्संग,

      धन्य वही चढ़ता जिन्हें, राम भक्ति का रंग l   

 

              चार शत्रु ये प्रबल हैं, काम,क्रोध ,मद,लोभ,

              जो इनसे बच कर रहा, नहीं सताता क्षोभ l   

 लोभ मोह को त्याग कर, करते  जो सत्संग,

      धन्य वही चढ़ता जिन्हें, राम भक्ति का रंग l   

 

              चार शत्रु ये प्रबल हैं, काम,क्रोध ,मद,लोभ,

              जो इनसे बच कर रहा, नहीं सताता क्षोभ l   

 

लोभ मोह को त्याग कर, करते  जो सत्संग,

      धन्य वही चढ़ता जिन्हें, राम भक्ति का रंग l   

 

              चार शत्रु ये प्रबल हैं, काम,क्रोध ,मद,लोभ,

              जो इनसे बच कर रहा, नहीं सताता क्षोभ l   

 

Sunday 14 January 2024

  लोभ मोह को त्याग कर, करते  जो सत्संग,

      धन्य वही चढ़ता जिन्हें, राम भक्ति का रंग l   

 

              चार शत्रु ये प्रबल हैं, काम,क्रोध ,मद,लोभ,

              जो इनसे बच कर रहा, नहीं सताता क्षोभ l 

Saturday 13 January 2024

 

 कान दूसरा  ना  सुने,  आँख  रहे अनजान,

      सब कुछ हो परमार्थ हित, वही श्रेष्ठ है दान l

 

             मन चन्चल,लालच प्रबल, लोभी,मन कमजोर,

             वुधि,विवेक जाग्रत करें, यद्यपि मन चितचोर l

Friday 12 January 2024

 

 नीर-क्षीर गुण दोष का, ध्यान रखे जो छात्र,]

          गुरु जन  को सम्मान दे, होता वही सुपात्र l]

 

Thursday 11 January 2024

 

 मन में चिन्तन ईश का, नित्य करें गुणगान,

             जो उसको  सुमरे सदा,  हृदय बसें  भगवान |

 

     निज हित जैसा चाहते, दो परहित भी मान,

     जो दोगे  सो पावगे, ज्यों का  त्यों सम्मान |

 

Wednesday 10 January 2024

             स्तुति पा हर्षे नहीं, ना निन्दा सुन शोक,

            दोनों में समभाव हो, वह महान इह लोक |

    

     प्रभु की महिमा, नाम गुण, देखें सदा चरित्र,

     श्रृद्धा से नित ही सुनें, भगवत कृपा पवित्र |

  

Tuesday 9 January 2024

 लोभ,मोह, आलस्य, मद, पर निन्दा हैं दोष,]

     जिज्ञासा,संयम, लगन, ध्यान,शील, सन्तोष l]--  

 

           खाएं हरदम बाँट कर, बोलें रसमय बोल,

      प्रेम पगे,अति नम्र हो, यही धर्म अनमोल |

  

Monday 8 January 2024

आधी  रोटी  खाइये,  रहे  इरादा  नेक,

              तो पूरी तुम  खावगे, आडम्बर तो फेक l

 

    लोभ,मोह, आलस्य, मद, पर निन्दा हैं दोष,]

     जिज्ञासा,संयम, लगन, ध्यान,शील, सन्तोष l]- 

Sunday 7 January 2024

 

निद्रा ,मैथुन, भूख, भय, नर पशु  में है  ऐक,

         बुद्धिमान पशु से अधिक,नर में अधिक विवेक l

 

     फिर भी पशु संयम करें, नर को है धिक्कार,

    चारों  में  है  अतिक्रमण, गलती  बारम्बार l                       

 

              आधी  रोटी  खाइये,  रहे  इरादा  नेक,

              तो पूरी तुम  खावगे, आडम्बर तो फेक l

 

Friday 5 January 2024

 

विकृति आये सोच में, मन में पनपे स्वार्थ,

        कर्तव्यों  से  विमुख जो, कैसे  हो परमार्थ l              

 

             बुद्धि हमारी तीर  है, श्रम है  सदा कमान,

              उचित मार्ग दर्शन मिले, लक्ष्य बने आसन l

Thursday 4 January 2024

 

 प्रज्ञा संग चिन्तन मनन, सत साहित्य प्रधान,

            उत्कंठा  के  साथ  हो, धर्म  और  विज्ञान l  

 

    मेधा शक्ति  बढ़ाइए, लें विवेक  से  काम,

    वंश बुद्धि यदि हो गई, करते सभी सलाम |

 

Wednesday 3 January 2024

 

 गुरु से मिलते सूत्र ही, भाष्य आपका काम,

      प्रतिभा है यदि आपमें, जग में होगा नाम l

 

               नैतिक जो उपदेश हैं, करें सभी अभ्यास,

              जीवन संभलेगा तभी, होगा बुद्धि विकास l

Tuesday 2 January 2024

 

मेधा शक्ति  बढ़ाइए, लें विवेक  से  काम,

    वंश बुद्धि यदि हो गई, करते सभी सलाम |

 

             जो पढाई में अग्रसर, बना सकें पहिचान,

             आगे चल कर वही तो, पाते हैं  सम्मान |

Monday 1 January 2024

नया वर्ष

आया है नया वर्ष, करते हम अभिनन्दन,

हम से जो अग्रज हैं, उनका करते वन्दन।

छोटों को शुभाशीष, मंगलमय हो जीवन।

प्रेम सदाफूले बस, हम सब उत्साही हों,

प्रगति मार्ग जो भी हो, उस पथ के राही हों,

हम उँचाई छू  लेंगे, नित प्रयास हों नूतन ।

गत को हम क्या देखें, देखें हम आगत को,

उत्सुक है नव प्रभात,हम सबके स्वागत को।

शुभ चिन्तक जो भी हैं, देखें हम अपनापन,

आया है नया वर्ष, करते हम अभिनन्दन।

जग में प्रसिद्धि के कीर्तिमान तोड़े हम,

भर दें उजयारे को, छूट जाये सारा तम।

मिट जाये अहंभाव, धुल जाये अन्तरमन।

द्वेष, बैर भूलें सब, छोटों को अपनायें,

प्रेम बीज बो कर हम,बगिया को महकायें।

मन मन्दिर अपने ही, बन जायें वृन्दावन।

ज्ञानवान, बुद्धिमान,प्रभा ओजस्वी हों,

शरदं शतं जीवेत, आप सब यशस्वी हों।

विनती है प्रभु से बस, बन जायें वे साधन।

उत्तर से दक्षिण तक,हिन्दी सब की भाषा,

पूरबसे पश्चिम तक, सुदृढ़ रहे यह आशा।

हिन्दी की प्रगति हेतु, जुट जायें ज्ञानी जन।


 

शत