जिसे
भरोसा अपने पर है,वही सफल होता जीवन में,
इसे
आत्मविश्वास कहा है, संयम रहता उसके मन में |
बल,
पौरुष, संकल्प पास में, शक्ति आपके ही भीतर है
सभी सुलझती यहाँ समस्या, समाधान मिलता है क्षण में |
प्राणी ने
मन जीत लिया तो, जग को भी वह जीत जायगा,
दृढ़
संकल्प सामने रक्खो, तो विचार भी स्वस्थ आयगा |
अगर वासना
मन में जागे, मन पर करो नियन्त्रण तो फिर,
मन को तुम
एकाग्र करो तो, उसका तो फल रंग लायेगा |
अगर रहेगी
मन में विकृति, नहीं शान्ति पा सकते,
जंगल और
गुफा में है वह, भ्रम है, तुमसे कहते |
अन्तस् मन
में उसे खोजिये, त्यागो मन दुर्बलता,
अंहकार
बाधक बनता है, यह क्यों नहीं समझते |
हम साथी
हैं, साथ रहेंगे, अपनापन हर कोई दिखाता,
पर अपना
है कौन यहाँ पर,बिरला ही बस साथ निभाता |
अगर जरूरत
कभी पड़ी है, मौके पर वह खुद हट जाता,
भोजन,
पानी, शूद्ध वायु से, तन का होता पूर्ण विकास,
श्रेष्ठ
विचारों से प्रसन्न मन, पहुँच सके ईश्वर के पास |
चिन्तन,
मनन, स्वाध्याय से, ज्ञान गुणी संग प्राप्त करें,
मिले
प्रेरणा शुभ कर्मो की, प्रभु मिल जाते यह विश्वास|
भक्त
की साधना से बड़ी
भक्ति है,
सदा
आसक्ति से बढ़ कर विरक्ति है,
व्यक्ति से भी बड़ा उसका व्यक्तित्व है,
शक्ति
से भी बड़ी बस सहनशक्ति है l
अरे मियां शरीफ, बंद
कर दो हंगामा
सारी
दुनियाँ जान गई, हरकते कुनामा,
सावधान हो,चीन साथ अब कब तक देगा,
रहो अकेले, बंद करो अपना
यह ड्रामा
धर्म आचरण का पालन कर, धर्म जिये जा,
अहंकार को छोड़, छिपा यह
मर्म जिए जा.
काम, क्रोध, मद, लोभ, सदा से शत्रु रहे
हैं,
फल की इच्छा क्यों करता, तू कर्म किये जा.
हिन्दी
के मूर्धन्य मन्च पर, सब में ही
अपना दमखम है,
यहाँ विचारक, उपदेशक हैं, इसमें नहीं किसी
को भ्रम हैl
मेरी क्या सामर्थ बैठ लूं, साथ आपके सभा मन्च पर,
मान सहित जो आप बुलाते, मेरे लिये यही
क्या कम है l