Tuesday 30 July 2019

बसंत


 प्रिय,
     बसन्त त्योहार, भेजता तुमको पाती,
     लहराती गेहूँ की बालें,
     फूले सरसों के ये खेत, ,मुझको आज याद हो आती।
     इन्हें देख हर्षित होता मन,
     ये प्रतीक होते हैं सुख के,
     मौन प्रदर्शन करते हैं जो,
     मीठे फल होते मेहनत के।

     ये सन्देश दे रहे जग को,
     शान्ति एकता मेहनत से ही,
     सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,
     त्याग तपस्या बलिदानों का,
     फल सोना उगलेगी धरती।
     यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।
    पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,
    कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,
   या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,                        
   राजनीत दल के प्रचार का ,
   साधन मात्र मान मत लेना,
   यह रंग तो प्रतीक है सुख का,
   जो सन्देश दे रहा जग को,
   सबका जीवन मंगलमय हो।
   सबका जीवन मंगलमय हो।


दोहे

 चित्र राम का मन बसे, होगा हर्ष अपार,
                 सिया राम  की छवि रहे, होगा बेड़ा पार l
राम कथा अमृत कथा, विष को करती दूर,
विषय वासना हट सके, यश मिलता भरपूर l
                  राम कथा जिसने लिखी, लिया राम का नाम,
                  राम रंग  में  रंग गया, माया का क्या काम l
सुना राम  का नाम है, वे  तो बहुत कृपालु,
भज मन सीताराम को, सच  में राम दयालु l
 

Wednesday 24 July 2019

लघु कथा


  लघु कथा
ऐ.के.जोहरी को इनकमटेक्स आफिसमें प्रेक्टिस करते हुये अभी एक वर्ष ही हुआ था,7,8 फाइलें थी उसी में सन्तोष था | ऐक दिन सुनने को मिला कि इन्कमटेक्स कमिश्नर की तबियत बहुत खराब है, ऐक सप्ताह से अधिक हो गया है बुखार ही नहीं उतर रहा है, नगर के बड़े बड़े वकील एंव सी. ऐ. फलों के टोकरे ले कर उन्हें देखने जा रहे थे, कोई कहता यहाँ नहीं पी.जी.आई. लखनऊ ले चलें मैं सब प्रबन्ध कर दूँगा, एक ने कहा देहली के अपोलो अस्पताल में मेरे रिश्तेदार डाक्टर हैं, ऐ.सी.फर्स्ट में आप लोगों के टिकट कराये देता हूँ, वहां एम्बूलेंस मँगा लेगें मैं भी आप लोगों के साथ चलूँगा | जोहरी ने सोचा मैं भी देख आऊं पर फलों का टोकरा पाँच सौ से कम में न बनता था, क्या करें फिर भी वह देखने पहुँच गया, अन्दर उनकी पत्नी के पास जा कर बोला “आंटी मैं परसों मेह्यर की देवी से प्रार्थना करने गया था, वहाँ पुजारी ने यह तावीज दिया है, इसे आप कमिश्नर साहब की तकिया के के नीचे रख दीजिये”| दवा का असर कहें या तावीज की करामात, अब कमिश्नर साहब का बुखार कम होने लगा और तीन दिन में बुखार सामान्य हो गया, एक सप्ताह में कमजोरी भी ठीक हो गई |                                           
 अब क्या था जोहरी साहब अगले एक वर्ष में बड़े बड़े वकीलों से
                                  भी आगे बढ़ गये थे |                                      
                         ( जिस दिन जोहरी तावीज दे कर आये उसी दिन एक    वकील ने  उनसे पूँछा (यार तुम तो रोज यहीं रहे फिर मेह्यर की देवी कब हो  आये, जोहरी ने कहा “क्या करता? मेरे पास फलों के टोकरेकी जुगाड़ तो थी नहीं, यहीं मानिक चौक से पाँच रुपया में तावीज खरीद कर दे आया था ) |  


Tuesday 23 July 2019

लघु कथा

 लघु कथा
राकेश मल्टी नेशनल कम्पनी में एक्ज्युकेटिव हेड था, बड़ी कम्पनियों में काम बहुत का बोझ तो अधिक होता है, घर पर 8 साल के अपने लाडले अंकुर को कम ही समय दे पाता था | वह कई बार नगर के चिड़िया घर दिखाने के लिये कह चुका था, इस रविवार को उसने फिर कहा तो राकेश उसका आग्रह न टाल सका, उसने दिव्या (पत्नी) से कहा तो उसने यह कह कर मना कर दिया कि आज मेहरी नहीं आयेगी, घर की साफ सफाई मुझे ही करना पड़ेगी, आप ही अंकुर के साथ चले जाइये बहुत दिनों से कह रहा है, उसकी इच्छा पूरी हो जायेगी |
    चिड़िया घर में जानबरों, पक्षियों को दिखाते दिखाते दो घंटे से अधिक हो गये, दोनों थक गये  तो एक बेंच पर बैठ गये, सामने एक सेव बेचने वाला निकला तो राकेश ने अंकुर से सेव लाने के लिये कहा, अंकुर ने दो सेव खरीदे और वहीं खड़े खड़े दोनों सेव खाने लगा, राकेश यह देख कर सोचने लगा अरे यह क्या मैं व्यस्त रहता हूँ तो दिव्या को तो उसे शिष्टाचार, बड़ों के प्रति कर्तव्य आदि सिखाना चाहिए थे, वैसे दिव्या का स्वभाव ऐसा नहीं है कि उसने अंकुर को यह सब शिक्षा न दी हो, तो क्या जो घर में काम वाली आती है उसने ऐसा सिखाया हो, ऐसे ही विचार उसके मस्तिस्क में चल रहे थे कि अंकुर ने आ कर कहा “पापा जी यह सेव आपके लिये है, यह इस दूसरे सेव से अधिक मीठा है” मम्मी कहती हैं कि अपनों से बड़ों को अपनी की तुलना में अच्छी चीज भेंट करना चाहिए | राकेश की तन्द्रा टूटी और बोला “बेटा तुम ठीक कहते हो, मैं ही गलत सोच रहा था” ऐसी ही शिक्षा प्रगति का मार्ग खोलती है, बड़ों के प्रति आदर और सम्मान ही उसे आगे बढाता है | मुझे तुम पर गर्व है कि तुमने मम्मी की शिक्षा को आत्मसात किया” अब चलो घर चलें बाकी फिर मम्मी के साथ किसी रविवार को आकर देखेंगे |   
    

Sunday 21 July 2019

लघु कथा


 लघु कथा
दीपाली की नियुक्ति सहायक अध्यापिका के रूप में नगर में हुई थी |उसका अध्यापन कक्ष दूसरी मन्जिल पर था और वह सीढियाँ चढ़ रही थी किउसकी द्रष्टि नीचे की ओर गई, ऐक पोलियो ग्रस्त बालक वाकर की सहायता से सीढियाँ चढ़ रहा है तो उसने सोचा वह गिर न पड़े इसलिये वह सीढियाँ उतर कर उसके पास आ गई,उसका हाथ पकड़ कर सहारा दिया और कहा “ घवड़ाओ नहीं मैं तुम्हारी टीचर हूँ,तुम्हें सहारा दे कर ऊपर  ले चलती हूँ”, वह बालक ऐक तो मौन रहा फिर बोला “मेडम! मैंने तो आपसे कोई सहायता नहीं मांगी है” वह बोली “अच्छा यह बात है तो क्या मैं तुम्हारी मित्र बन कर सहायता कर सकती हूँ” बालक बोला “मेरे पापा कहते हैं जिसको जिन्दगी के सामने सबसे अधिक चुनोतियाँ होती हैं, वही आगे तक जा सकता है” इसलिये मुझे बिना किसी की सहायता के अपनी चुनोतियों का सामना स्वयं करना चाहिए”, इससे आत्म विशवास बढ़ता है और सोच भी द्रढ़ होती है” दीपाली ने कहा  “आज मुझे तुमसे बहुत कुछ सीखने को मिला है” |
 “ लगन, परिश्रम, सतत साधना जो अपनाते हैं,
   सच मानो  तो  वही लक्ष्य को  छू  पाते हैं”
आगे बढो और सीढियाँ स्वयं चढो, तभी उच्च शिखर पर पहुँच सकोगे, मेरी शुभ कामनाएं तुम्हारे साथ हैं |