Friday 22 January 2021

 

पावन धरती

 

भारत की पावन धरती का, बार बार अभिनन्दन,

शत शत बार नमन करते हैं, करते हम सब वन्दन |

       सदा देव गण इच्छुक रहते, भारत में आने को,

       सुर सरिता के पास बैठने, चरणामृत पाने को |

भारत माँ है पूज्य हमारी, उसके माथे चन्दन,

हम अपना सौभाग्य मानते, अर्पित करते तन मन |

       सूर्य,चन्द्र भी पहरा देते, जगमग करें सितारे,

        हमको ऊर्जावान बनाते, जिससे दुश्मन हारे |

धन्य हमारी पावन धरती, जहाँ बसा वृन्दावन,

गाय हमारी माता सबकी, पूजित है गोबर्धन |

        अडिग हिमालय शीष मुकुट है,सागर चरण पखारे,

        विन्ध्याचल की बनी करधनी, प्रान्त सभी गलहारे |

माँ का ऋण ही हमें चुकाना, दिखलायें अपनापन,

हिमिगिरि की रक्षा करना है, सावधान हों प्रतिक्षण |

        अपना है कश्मीर सदा से, उसके गुण हम गायें,

        कोई कितनी बाधा डाले, वे सब मुँह की खाएं |

सब देशों से न्यारा भारत, पूजित उसका कण कण,

रक्षा का दायित्व हमारा, इसका लेते हम प्रण |

        तीन बार पाक हारा है, फिर भी आँख दिखाता,

        खुद बर्बाद हो रहा फिर भी, चीन उसे बहकाता |

उसके टुकड़े टुकड़े कर दें, हट जाये दुख दारुण,

पाक मिलेगा फिर भारत में, ऐसे बनते कारण |

        आतंकी के बल पर शायद, उसको ऐसा था भ्रम,

        दुनिया भर में हुआ अकेला, हटा सामने से तम |

आओ पूजो फिर भारत को, क्यों करते हो क्रन्दन

मिलकर हम तुम साथ बढ़ेंगे, होगा तब सम्बर्धन |

    हम अनेक में एक बने हैं, यह सिद्धान्त हमारा,

    नहीं धर्म में हमें बाँटना, मानव धर्म तुम्हारा |

विश्व बन्धु का भाव भरेंगे, तब होगा परिवर्तन,

विश्व गुरु भारत अब फिरसे, होगा यह आकर्षण |

       षट ऋतुयें भारत में होती, ऐसा देश हमारा,

        प्राकृतिक सौन्दर्य यहाँ पर, काशमीर है प्यारा |

सीमाएं रक्षित हैं इसकी, रहते हैं ज्ञानी जन,

वन्दनीय भारत है अपना, मंगल माय हो जीवन |

हो अखंड भारत का नारा, इसका ले लें हम प्रण,

भारत हो सिरमोर जगत में, करते हम अभिनन्दन |

 

 

No comments:

Post a Comment