Saturday 15 May 2021

मुक्तक

                सेवा भाव समर्पण  ही बस, मानव की पहिचान है,

              जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l

             यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,

              करता  जो उपकार सदा  ही, पाता  वह सम्मान है l


 

बारम्बार प्रयास करो  तो, मिले  सफलता,

चिंता और निराशा  छोडो, गई  विफलता.

असफलता से विमुख न हो,संघर्ष करो तुम,

जब अवसर अनकूल,प्रगति पर जीवन चलता |

                 जब प्रताड़ित  हो  कभी  संघर्ष  में,

                 या  निराशा  हो  खड़ी  उत्कर्ष  में,

                 हर विफलता से न विचलित हो कभी,

                 तो  सफलता  भी  मिले अपकर्ष में |


No comments:

Post a Comment