Wednesday 14 February 2024

बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

 बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

 बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

 बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

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