भौतिक विकास की सुविधायें, हमें बनाती सदा विलासी,
हम प्रकाश की ओर बढ़ें यदि,तन्मय हो कर हो अभ्यासी l
अन्धकार तो स्वयं छटेगा, बन जाएँ यदि द्दढ विश्वासी ,
सोपानी क्रम से बढ़ सकते, आत्मशुद्धि के हों अभिलाषी l
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