Dr. Hari Mohan Gupta
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Tuesday 29 May 2018
पाप पुन्य के गणित को,
पाप पुण्य के गणित को, समझ सका है कौन,
मन चाही
है
व्यवस्था, शास्त्र हुये
हैं मौन l
पंथों
ने बाँटा हमें, द्वैत और अद्वैत,
ईश्वर सत्ता ऐक है, प्राणी अब तू चेत l
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