हँसना, गाल फुलाना बोलो, एक साथ कैसे सम्भव है,
सोना, अरहर को तुम तोलो,एक तराजू क्या सम्भव है |
वायस, पिक का भेद उजागर हो जाता है हर बसंत में,
तुम बेमेल रसों को घोलो, मधुरस पाओ क्या सम्भव है |
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