Tuesday, 9 September 2025

 

दीनों  की  पीड़ा हरें, उससे  हो  पहिचान,

सुख समृद्धि ही बढ़ सके, उसमें है कल्याण l

कान  दूसरा क्यों सुने, आँख बने अनजान,

निर्बल, निर्धन न रहे, यही सुकृत का दान l

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