सत्य का हो आचरण, औ पाक हो अपनी नियत,
सत्य हो व्यवहार में बस, हम जियें परमार्थ हित l
गीता, कुरान आदि ग्रन्थों का रहा ऐसा ही मत,
इन्सान में बस लाजमी, उसमें रहे इंसानियत l
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