Saturday, 31 May 2025

वृक्ष  मौन पर  सदा शान्ति के  फल उगते हैं,

जो  होते  वाचाल, कलह  उनके  फलते हैं |

जो सुन्दर हो, वही श्रेष्ठ हो, आवश्यक क्या ?

                                                  लेकिन   जो  हो  श्रेष्ठ, वही सुन्दर लगते हैं | 

Friday, 30 May 2025

 

                                           मिथ्या  स्वाभिमान   ने  हमको, उपभोगवाद में बाँट दिया है,

भोतिक विकास ने मानव को,मानव से सच में अलग किया है |

अब सुख  का  आधार हमारा, अलगाव वाद में भटक गया है,

                                             मेरा  है  विश्वास  अकारण, अभिशाप सहज में  यहाँ लिया है |

Thursday, 29 May 2025

 

                                           मिथ्या  स्वाभिमान   ने  हमको, उपभोगवाद में बाँट दिया है,

भोतिक विकास ने मानव को,मानव से सच में अलग किया है |

अब सुख  का  आधार हमारा, अलगाव वाद में भटक गया है,

                                        मेरा  है  विश्वास  अकारण, अभिशाप सहज में  यहाँ लिया है |

Wednesday, 28 May 2025

माँगे से जो मिलता है, वह भिक्षा है, वरदान नहीं है,

गुरु द्वारा जो भी मिलता वह शिक्षा है, विज्ञान नहीं है |

आस्था औ विश्वास परम आवश्यक है, उसको पाने में,

                                                 मन्दिर में जो भी प्रतिमा है, पत्थर है, भगवान नहीं है | 

Tuesday, 27 May 2025

 

जो भी देश द्रोह में शामिल, दो दो हाथ करें अब,

ढूंढ ढूंढ कर उन्हें मारना, गली ठोर मिल जाएँ जब |

जो भी उनके संरक्षक हैं, उनको हमें मिटाना है,

जब तक आतंकी धरती पर, कैसे चैन हमें सम्भव |

Friday, 23 May 2025

नेह  से  नाता रहा मनमीत  का,

है समर्पण सार ही बस प्रीत का |

गीतकारों  ने  सदा  से यह कहा,

                                                        दर्द  से  रिश्ता पुराना  गीत  का |

Thursday, 22 May 2025

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जिन्दगी का तर्जुवा है मेरा, समय ही हमें सिखाता है,

छोटा आदमी ही सही, मौके पर कभी काम आता  है |

नाते, रिश्ते तो निभाने  को नहीं, दिखाने को होते हैं,

बड़ा आदमी  छोटी सी बात पर भी आँखे दिखाता है |

Saturday, 17 May 2025

तुम अपने हो, सदा पड़ोसी धर्म निबाहा,

हिल मिल कर रह सकें इसी को हमने चाहा |

अब भी हम समझाते तुमको, मानो इसको,

                                                         वह्कावे  में  आते  हो यह  नहीं  सुहाता |

Friday, 16 May 2025

धर्म पूँछ कर तुमने निर्दोषों को मारा,

इसका बदला हमको लेना कर्म हमारा |

बार बार तुमको समझाया, नहीं मानते,

                                                     आतंकी अड्डों  को  हमने  तभी उखाड़ा | 

Thursday, 15 May 2025

 

भारत को माता माना है, प्राण निछावर की ठानी है,

जान हथेली पर रखते हैं, कीमत  हमीद की जानी हैं |

हम अनेक में एक रहे हैं, जीवन,मरण लगे उत्सव सा,

भले कौम के कोई रहें हम, पर पहिले हिन्दुस्तानी हैं |

Wednesday, 14 May 2025

 

सत्साहित्य सदा कवि लिखता, चाटुकारिता नहीं धर्म है,

वह उपदेशक है समाज का, सच में उसका यही कर्म है |

परिवर्तन लाना  समाज  में, स्वाभाविक बाधाएँ  आयें,

कार्य कुशलता के ही कारण, सम्मानित है, यही मर्म है |

Tuesday, 13 May 2025

 

अडिग हिमालय से हैं हम सब, सागर सी गहराई है,

देश बड़ा  है, हम से  बढ़ कर, ऐसी  शिक्षा पाई है |

भारत में भी कभी स्वार्थवश, जयचंद यहाँ पैदा होते,

प्राणों  की  आहुति  देते हैं,  हमीं  चन्द्रवरदायी हैं |

Monday, 12 May 2025

 

भक्त  की  साधना  से  बड़ी भक्ति है,

सदा  आसक्ति  से बढ़ कर विरक्ति है|

व्यक्ति से भी बड़ा उसका व्यक्तित्व है,

शक्ति  से  भी बड़ी बस सहनशक्ति है |