Tuesday, 13 May 2025

 

अडिग हिमालय से हैं हम सब, सागर सी गहराई है,

देश बड़ा  है, हम से  बढ़ कर, ऐसी  शिक्षा पाई है |

भारत में भी कभी स्वार्थवश, जयचंद यहाँ पैदा होते,

प्राणों  की  आहुति  देते हैं,  हमीं  चन्द्रवरदायी हैं |

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