Tuesday, 30 September 2025

 

सत्साहित्य  सदा कवि लिखता,चाटुकारिता  नहीं धर्म है,

वह उपदेशक है  समाज का. सच में उसका यही कर्म है l

परिवर्तन लाना  समाज में, स्वाभाविक  वाधाएं  आयें,

कार्य कुशलता के  ही कारण, सम्मानित है यही मर्म है l

Monday, 29 September 2025

 

शूल में कितनी चुभन है, फूल है कितना सुहावन,

द्वेष में कितनी तपन है, प्रेम है कितना सुपावन l

कल्पना  कोरी  नहीं, चिर  सत्य  है  यह ,

है विरह विधवा सदा से,मिलन है हरदम सुहागन l

Sunday, 28 September 2025

 

काम मैं परमार्थ के हरदम करूँ,

देश द्रोही  जो  रहे उनसे लडूं l

चाह बस औढूं तिरंगा कफन का,

जब भी मरूं, देश हित में ही मरूं l

Friday, 26 September 2025

 

कलुषित असत विचारों को बस धोते जाओ,

बीज सफलता  के  जीवन में  बोते जाओ l

तुममें अंहकार     पनपे बस जीवन  में,

है  मेरा  आशीष,  अग्रसर  होते  जाओ l

Thursday, 25 September 2025

 

वर्ग भेद, विद्वेष हटायें, जनजीवन मन भावन,

आओ पाहिले मिल के मारें अंहकार का रावण l

रोड़े तो अक्सर आते हैं, सदा सत्य के पथ पर,

सदाचरण  से  जीत हमारी, पर्व मनाएं पावन l

Wednesday, 24 September 2025

जहाँ  सुमति तहँ  सम्पति नाना, कोई अन्य विधान नहीं है,

कुमति जहाँ पर रही  वहाँ तो, सच मानो  सम्मान नहीं है l

आदि वचन मानससे छांटे, तुम भी इसको सोचो समझो,

                                        मिल जुल कर रहना हम सीखें, सुमति बिना उत्थान नहीं है l 

Tuesday, 23 September 2025

 

जब कभी भी यदि बिगड़ते आचरण,

स्वार्थ लिप्सा का तने यदि आवरण l

तो आज मानव धर्म  समझाएं उसे,

दायित्व है  अपना करें हम जागरण l

Monday, 22 September 2025

 

सत्य का हो आचरण, औ पाक हो अपनी नियत,

सत्य हो व्यवहार में बस, हम जियें परमार्थ हित l

गीता, कुरान आदि ग्रन्थों  का रहा ऐसा ही मत,

इन्सान  में  बस लाजमी, उसमें रहे  इंसानियत l

Sunday, 21 September 2025

 

जब कभी भी यदि बिगड़ते आचरण,

स्वार्थ लिप्सा का तने यदि आवरण l

तो आज मानव धर्म  समझाएं उसे,

दायित्व है  अपना करें हम जागरण l

Tuesday, 16 September 2025

 

लक्ष्य करता हर चुनोती को वरण,

हौसला यदि है झुका सकते गगन |

सोच  ऊँची  ही बनाओ  सर्वदा,

ध्वंस है निर्माण का पहिला चरण |

Monday, 15 September 2025

सत्य का हो आचरण, औ पाक हो अपनी नियत,

सत्य हो व्यवहार में बस, हम जियें परमार्थ हित l

गीता, कुरान आदि ग्रन्थों  का रहा ऐसा ही मत,

                                               इन्सान  में  बस लाजमी, उसमें रहे  इंसानियत l 

Saturday, 13 September 2025

 

 

2- हिन्दी भाषा सरल, लिखा ही पढ़ते हैं सब,

बोल चाल में शिष्ट, ऊँचाई चढ़ते हैं सब |

संस्कृत भाषा जननी इसकी रही सदा से,

इसके सम्बर्धन से आगे बढ़ते हैं सब |

 

3-                                             हमने जो इतिहास पढ़ा है, साहस शोर्य जगाया जाये,

संस्कृत ही जननी हिन्दी की, इसको ही समझाया जाये

भाषा सबकी ही हिन्दी हो, ऐसी आग लगाई जाये,

जन मन की भाषा है हिन्दी, ऐसा भाव बताया जाये |

काव्य रचना में  अनोखी शक्ति है,

जो  जुड़ा  उससे सुवासित भक्ति है |

जोड़ती  हिन्दी   सदा  सद्भाव  से,

बोलने की बस सहज अभिव्यक्त है |

Thursday, 11 September 2025

                                                     मुर्गा जो बांग दे कर, सुबह  सबको जगाता है,

शाम को प्लेट में सजकर, सदा को सो जाता है,

उसके उत्सर्ग का यह हश्र होगा, वह क्यों सोचे ?

जगाने  का फर्ज  है उसका, वह  तो निभाता है l