Saturday, 28 December 2024

 

शूल में कितनी चुभन है, फूल है कितना सुहावन,

द्वेष में कितनी तपन है, प्रेम है कितना सुपावन l

कल्पना  कोरी  नहीं, चिर  सत्य  है  यह ,

है विरह विधवा सदा से, मिलन है हरदम सुहागन l

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