Saturday, 28 June 2025

 

हम  सुधरेंगे, जग  सुधरेगा, यही  बात  है  शास्वत,

दृष्टिकोंण बदलें  हम अपना, इस में  है  अपना  हित |

गुण  अन्वेषण  हो  स्वभाव में, हम समाज में  जाएँ,

घृणा, द्वेष, दुर्भाव त्याग कर, खुद को करें समर्पित |

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