Wednesday, 4 June 2025

सदा रहे निस्वार्थ भावना, हो  जग  का कल्याण,

सतत साधना के ही बल पर,बनती निज पहिचान |

सहें यातना, किन्तु ह्रदय में, भारत माँ  का मान,

                                                कर्मठ, सदा  साहसी जग  में  पाते  हैं  सम्मान | 

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