Dr. Hari Mohan Gupta
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Friday, 20 September 2019
मानव की पहिचान्
सेवा भाव समर्पण
ही बस, मानव की पहिचान है,
जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l
यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,
करता
जो उपकार सदा
ही, पाता
वह सम्मान है l
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