Thursday 29 February 2024

 

 कैसे हम आगे बढ़ें, लगी हुई  है होड़,

      अपनों को पीछे करें, सब मर्यादा तोड़ l

 

              झूठ फरेबी सब करें, छोड़ें  शिष्टाचार,

              चापलूस बन कर वही, करते भ्रष्टाचार l

Wednesday 28 February 2024

 

कैसे हम आगे बढ़ें, लगी हुई  है होड़,

      अपनों को पीछे करें, सब मर्यादा तोड़ l

 

              झूठ फरेबी सब करें, छोड़ें  शिष्टाचार,

              चापलूस बन कर वही, करते भ्रष्टाचार l

 

Tuesday 27 February 2024

 

आना, जाना चल  रहा, ऐसा यह संसार,

      हंसना,रोना भी चले, यह जीवन का सार l

 

                    उसकी यदि होगी कृपा, होगा तब आभास,

               नहीं दूर वह आपसे, वह  तो  रहता पास l

 

Monday 26 February 2024

 साहस सद्दश प्रकाश है, होता भय अन्धयार,

      हिम्मत या उत्साह ही, भय को करता क्षार,

                 

                इच्छा शक्ति प्रधान है, करते रहें प्रयास,

                साहस भी हो साथ में, रहे सफलता पास l

 vvv 

Sunday 25 February 2024

 

खुद चाहे भूखा  रहे,  रखें  पड़ोसी  ध्यान,

     वही जगत में श्रेष्ठ है, सबसे बढ़ कर दान l

 

             विद्या संग सत्कर्म ही, दिया हुआ ही दान,

             छाया सा पीछे  चले,  सदा  बढाता  मान,

 

Saturday 24 February 2024

 

सुख उसको ही मिल सका, रहा कामना मुक्त,

           नहीं सम्पदा  श्रेष्ठ  है, वैभव  से  हो  युक्त l

 

     खुद चाहे भूखा  रहे,  रखें  पड़ोसी  ध्यान,

     वही जगत में श्रेष्ठ है, सबसे बढ़ कर दान l

Friday 23 February 2024

 

वरिष्ठ व्यक्ति भी यहाँ है, उन्हें दीजिये मान,

                जो सुझाव वे दें अगर, उस पर भी दें ध्यान |

 

      मितव्यता संग योजना, रहें व्यवस्थित काम,

      भले समृद्धि न पा सके, पाता सुख का धाम |

 

            साधन यदि हैं श्रेष्ठतम, मुश्किल हटें तमाम,

             नैतिकता  का  बल रहे, ऊँचा  होता  नाम |  

 

Thursday 22 February 2024

 मितव्यता संग योजना, रहें व्यवस्थित काम,

      भले समृद्धि न पा सके, पाता सुख का धाम |

 

            साधन यदि हैं श्रेष्ठतम, मुश्किल हटें तमाम,

             नैतिकता  का  बल रहे, ऊँचा  होता  नाम | 

Wednesday 21 February 2024

 

  मात पिता की आरती, जो करते हैं रोज,

               उनका आशीर्वाद है, इसीलिए तो मौज |

 

      माँ, बेटी या बहिन संग, मन में बना विचार,

      सम्बन्धों के बीच में, खड़ी एक दीवार |

Tuesday 20 February 2024

 पर निन्दा हम क्यों करें, पाप युक्त व्यवहार,

        परम शान्ति मिल जायगी, यह ही नेक विचार |

 

              मत निराश मन को करो, पाना सुख सन्तोष,

               चाहो परमानन्द  को, मत  देखो  तुम दोष | 

Monday 19 February 2024

 सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,

        सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |         

 

                ईश्वर पा सकते सहज, श्रृद्धा भक्ति अपार ,

                 अहंकार  बस  छोड़ दें,  झूठा  यह संसार |

  

Sunday 18 February 2024

 

द्वेत और अद्वेत में, फँसा आज संसार,

                  निराकार ही मान कर, भजो उसे साकार l

 

      मानो तो वह ऐक है, यह संसार असार,

      ऐसा कुछ होता नहीं, निराकार, साकार l

Saturday 17 February 2024

      खुद जैसा  तुम  चाहते, वैसा  दो  तुम मान,                                                 स्वत:  तुम्हें मिल जायगा, यश ,वैभव, सम्मान l

            सदाचार  के पाठ  को, ऐसी  छोड़ो  छाप,           

            हत्या या फिर व्यसन भी, बन जायेंगे पाप l 

Friday 16 February 2024

 मेधा शक्ति बढाइये, लें विवेक  से  काम,

       वंश बुद्धि यदि हो गई,करते सभी सलाम l

 

              कुछ पाना है यदि हमें, जग में पाना नाम,

              दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें  ऐसे काम l

Thursday 15 February 2024

 

                 जिसकी जैसी भावना, वैसी  मानो  यार,

                 जुड़ा हुआ है भाव से, यह जीवन का सार l       

 

      किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,

      लोक सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l

 

Wednesday 14 February 2024

बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

 बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

 बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

 बसंत त्योहार---

प्रिय, बसन्त त्योहार,

भेजता तुमको पाती |

लहराती गेहूँ की बालें,

फूले सरसों के ये खेत,

,मुझको आज याद हो आती।

इन्हें देख हर्षित होता मन,

ये प्रतीक होते हैं सुख के,

मौन प्रदर्शन करते हैं जो,

मीठे फल होते मेहनत के।

शान्ति एकता मेहनत से ही,

सुख समृद्धि सभी की बढ़ती,

त्याग तपस्या बलिदानों का,

फल सोना उगलेगी धरती।

यही खेत असली स्वरूप होते बसन्त के।

                  कोयल की कू कू में,          

कवि की साथ कल्पना,

गीतों में श्रृंगार,

स्वर,लय साथ व्यंजना |

मंगलमय सबका भविष्य,

हम ऋर्णी रहेंगे इस अनन्त के |

पुण्य पर्व पर लिखित पत्र यह,

कहीं भूल से प्रेम पत्र तुम समझ न लेना,

या गलती से बासन्ती रंग के कागज को,

राजनीत दल के प्रचार का ,

साधन मात्र मान मत लेना,

यह रंग तो प्रतीक है सुख का,

जो सन्देश दे रहा जग को,

सबका जीवन मंगलमय हो।

सबका जीवन मंगलमय हो।

 v 

Tuesday 13 February 2024

 

 उसकी महिमा,नाम गुण,  देखे सदा चरित्र,

       श्रृद्धा पूर्वक  हम  सुनें, ईश्वर रूप पवित्र l

          

            चिन्तन करते रूप का, गाते हम गुण गान,

             सदा स्मरण उसी  का, निकट रहें भगवान l

Monday 12 February 2024

 

 नाता  जोड़ो  उसी से, मानो  मेरी  बात,

                टूटा पत्ता पेड़ से, क्या फिर से जुड़ पात l

 

       भौतिक सुख, सुख मानते, कारण है अज्ञान,

       सच्चा सुख आध्यात्म सुख, अनुभव है जान l

Sunday 11 February 2024

 कहते कहते थक गये, जुड़ा नहीं संयोग,

                   उसको पाने के लिए, पीछे  फिरते लोग l

 

      उसको पाने के लिए, आवश्यक विश्वास,

      आस लगा कर बैठिये, खुद आयेगा पास l

Saturday 10 February 2024

करते यदि हरि स्मरण, मिल जाता मनमीत,

     अब पछताना व्यर्थ है, जुड़ी  न  उससे प्रीति l

            

              करते करते लोभ  को, निकल  जांयगे प्राण,

              पछताओगे तुम बहुत, दिया न कुछ भी दान l 

Friday 9 February 2024

 

तन मिटटी का रूप धर,करता दीप प्रकाश,

              बाती  जलती नेह  की, अंधियारा  है दास l

 

       खाएं हरदम बाँट  कर, बोलें  मीठे  बोल,

       प्रेम सहित हम नम्र हों, धर्म कमाई तौल l

 

Thursday 8 February 2024

 बीता कल आता नहीं, आज गया  सो  काल,

            कर लो तुम शुभ काम को,होगे स्वयम निहाल              

 

      आपस  में  दूरी रहे, हो  कोई  मतभेद,

      यह सलाह है आपको, रखिये ना मनभेद l 

Wednesday 7 February 2024

 

 कुछ पाना है यदि हमें, जग में पाना नाम,

              दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें  ऐसे काम l  

 

       चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन  में रहे तनाव,

        उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l