पर निन्दा हम क्यों करें, पाप युक्त व्यवहार,
परम शान्ति मिल जायगी, यह ही नेक विचार |
मत निराश मन को करो, पाना सुख सन्तोष,
चाहो परमानन्द को, मत देखो तुम दोष |
No comments:
Post a Comment