Friday 30 September 2022

muktak

 

राम का आदर्श अनुकरणीय है,

कृष्ण का सानिध्य स्मरणीय है |

आप में सामर्थ है कुछ बन सको,

अनुकरण करिये तो आदरणीय है |

भारत को माता माना है, प्राण निछावर की ठानी है,

जान हथेली पर रखते हैं, हममें हमीद से मानी हैं |

हम अनेक में एक रहे हैं, जीवन,मरण लगे उत्सव सा,

भले कौम के कोई रहें हम, पर पहिले हिन्दुस्तानी हैं |

डा0 हरिमोहन गुप्त

अडिग हिमालय से हैं हम सब, सागर सी गहराई है,

देश बड़ा  है, हम से  बढ़ कर, ऐसी  शिक्षा पाई है |

भारत में भी कभी स्वार्थवश, जयचंद यहाँ पैदा होते,

प्राणों  की  आहुति  देते हैं,  हमीं  चन्द्रवरदायी हैं |

 

Thursday 29 September 2022

dohe

 

दु:ख सभी हरते वही, मन मत करो उदास,

सुख देते  हैं  रामजी, रखो हृदय विश्वास l

लीला सब प्रभु राम की,रहो राम में लीन,

आश्रय पाओ राम का, सदा रहो तल्लीन l

राक्षस कुल का नाश कर, विजयी हुये थे राम,

अहंकार  जिसने  किया, उसको  लगा विराम l

सद्प्रवृति अपनाये जो, उसको मिलते राम,

दुष्प्रवृति हम  छोड़  दें, बन जायेंगे काम l

राम सहायक ही रहें, पवन पुत्र हनुमान,

हम भी सेवक राम के,गायें प्रभु के गान l

डा0 हरिमोहन गुप्त

Wednesday 28 September 2022

दोहे

                                            भज कर देखो राम को,तब होगा विश्वास,

आवश्कता  जब पड़े, पाओगे  तुम  पास l

राम चरित  जो  पढ़ेंगे, गायेंगे  गुण गान,

यह मानो विश्वास तुम, होगा जग कल्याण l

दुख में भजते राम को, सुख में जाते भूल,

 सुख में यदि भजते रहें, राम सदा अनकूल 

         क्या करना कुछ जान कर, मत सोचो परिणाम  परिणाम                     सम्भव सब कुछ नाम  में, तुम्हें  मिलेंगे राम l

राम   रहे आदर्श  हैं, जो  भजते  हैं राम,

करें सभी हम अनुकरण,ले कर उनका नाम l

रा                          डा0 हरिमोहन गुप्त 

Tuesday 27 September 2022

गजल

 

           जिन्दगी में यह सचाई,

 जिन्दगी में यह सचाई, ”कर भला होगा भला”

  मुश्किलों में मुस्कराना ,जिन्दगी जीना कला है l

    यह समझ पाना कठिन है, कौन अपना या पराया,

   यदि समझ पाये न इसको, जिन्दगी में वह छला है l

   आजमाने  में  परेशानी  हुई  है, आप को,

    दूध से तो सब जले,क्या छाछ से कोई जला है l

    हर बफा  के बाद जग में,  बेबफाई  ही मिली है,

    मानते सब बात सच है, यह चलन कब से चला है l

    काम तो होता समय पर, जान कर भी भूल जाते,

    यदि समय ही गुजर जाये, हाथ ही सबने मला है l

   आज का हो काम अब ही है यही सिद्धान्त जग में,

    वह तो पछताये हमेशा, काम यदि कल पर टला है l    

          सोच  लो पहिले, तभी  तुम  दोस्ती  पैगाम  दो,   

         तुम  अभावों में पले पर, वह तो महलों में पला है l           

      मत भटकना तुम कभी  भी, सीख तुमको दे रहा, 

    राह जो पकड़ी बड़ो ने, तुम चलो यह सिलसिला है l     

                            डा0 हरिमोहन गुप्त   

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Monday 26 September 2022

भजन

           भर नैनों में नीर l

         कर्म करो, फल उस पर छोड़ो,

         विषय वासना से मुँह मोड़ो,

          बदले तब तकदीर l

        तुम जोड़ो सच से ही नाता,

        जो मन से प्रभु के गुण गाता,

          माथे लगे अबीर l

       कोन थाह पा सकता उसकी,

       करता वह परवाह सभी की,

          सागर सा गम्भीर l

       सबका दाता, सबका प्यारा,

       सत्य सदा शिव,सबसे न्यारा,

           उसको सबकी पीर l

       जिसने गाया, उसने पाया,

      उसने भी सबको अपनाया,.

           तुलसी, सूर, कबीर l

     उसका नाम जपेंगे हम सब,

     फिर पीड़ा क्यों होगी जब तब,         

     मन में रख तू धीर l       

     प्रभु जी, हरते सबकी पीर

              डा0 हरिमोहन गुप्त

 

 

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Sunday 25 September 2022

दोहे

 

सद्प्रवृति अपनाये जो, उसको मिलते राम,

दुष्प्रवृति हम  छोड़  दें, बन जायेंगे काम l                    

     राम सहायक ही रहें, पवन पुत्र हनुमान,

    हम भी सेवक राम के,गायें प्रभु के गान l

 राम लिखे पत्थर सधे, लिखा गया बस नाम,

 वे जिनके भी हृदय में, रक्षक  रहते  राम l 

   राम नाम जो भी जपे, छोड़े सब छ्लछन्द,

   मिलता  है  सन्तोष धन, रहते वे सानन्द l

राम भक्तिमणि पास यदि,फिर क्यों करता शोक,

बिन  मांगे  फल  पायगा,  सुधरेगा   परलोक l

   राम शरण में जो गया, हुआ वही भव पार,

  शरण राम  की तुम गहो, यदि चाहो उद्धार l

भक्त शिरोमणि राम हैं, सदा भक्त पर नेह,

तुम भी  भज लो  राम को, मानो निस्संदेह l

    राम मर्म  को  जानिये, आयेगा  आनन्द,

    पुलकित तन मन हो सदा,छूटेगा छ्लछ्न्द l

Saturday 24 September 2022

मुक्तक

 

डा0 हरिमोहन गुप्त

केवल तन ही नहीं आपका मन पवित्र हो,

आत्म नियंत्रण, परोपकार उत्तम चरित्र हो,

सुख के साथी नहीं दुःख में साथ निभायें

बस जिनके आचरण श्रेष्ठ हों वही मित्र हो

 

जग प्रकाशित है सदा आदित्य से,

हम प्रगति करते सदा सानिध्य से,

कोई  माने, या   माने  सत्य  है,

देश जाग्रत  है  सदा  साहित्य  से l

 

Friday 23 September 2022

नीति दोहे

 

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     प्रेरणा ( नीति दोहे )

           मानव  की पीड़ा हरें,  वे ही पाते मान,

         सेवा धर्म प्रधान है, तब बनती पहिचान l

पौरुष शक्ति समर्थ जो,क्षमा रहे यदि पास,

निर्धन हो पर दान दे ,ईश्वर का वह ख़ास l         

        सदा ऐक रस  ही रहे, भय हो फिर प्यार,

    हानि,लाभ,जीवन,मरण, सब उसके अनुसार l

विषय भोग को छोड़ दो, क्यों करते उपभोग,

इसे जानते हैं सभी, किसे दोष दें लोग |

   डा0 हरिमोहन गुप्त

Thursday 22 September 2022

बुन्देली चोक डीया

 

गोरी  पेरें  हैं  करधोनी,  नीची  करें   बरौनी,

घूंघट भीतर माथे ऊपर, टिकली  लगी  तिकोनी.

धर पनियां की खेप निकर गईं, चुनरी ओढ़ सलोनी,

पलक खुले रय,ओझल हो गइं,कर गईं आँख मिचोनी,

कजरा कोर  दिखा गईं विधना, होंन  चात  अनहोनी.

डा हरिमोहन गुप्त 

Wednesday 21 September 2022

मुक्तक

 

बुधि विवेकयुत शिक्षा ही होती संस्कृति है,

निज कर्मो की प्रति-विम्व होती आकृति है l

यों तो आवागमन सत्य है इस धरती पर ,

मरती रहती देह, अमर ही होती कृति है l

 

सेवा भाव समर्पण  ही बस, मानव की पहिचान है,

जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l

यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,

करता  जो उपकार सदा  ही, पाता  वह सम्मान है l

Tuesday 20 September 2022

आस्था के स्वर

 

इष्ट सभी  के ऐक हैं, विविध उन्हीं के नाम,

लेकिन मुझको प्रिय लगा, दशरथ नन्दन राम l

राम नाम इक मन्त्र है, इसे जपो दिन रैन,

बाधाएँ  कट  जांयगी, तुम्हें  मिलेगा चैन l

मरा  मरा जप  कर  हुये, वाल्मीक विद्वान,

राम नाम यदि तुम जपो, मिल जाएँ भगवान l

राम संग  हैं  आपके, जितना है विश्वास,

जितने उसके पास जो, वह उतने ही पास

मुख से निकले राम ही, बिना किये विश्राम,

सुख से बीते जिन्दगी, मिल जाये  आराम l


बहुत समय पश्चात आप के सम्मुख हूँ,प्रयास करूंगा कि फिर कुछ साम्रगी आप तक पहुँच सके |