जिन्दगी
में यह सचाई,
जिन्दगी में यह
सचाई, ”कर भला होगा भला”
मुश्किलों में मुस्कराना ,जिन्दगी जीना कला है l
यह समझ पाना कठिन है, कौन
अपना या पराया,
यदि समझ
पाये न इसको, जिन्दगी में वह छला है l
आजमाने में
परेशानी हुई है, आप को,
दूध से तो सब जले,क्या छाछ से कोई जला है l
हर
बफा के बाद जग में, बेबफाई
ही मिली है,
मानते सब बात सच है, यह चलन कब से चला है l
काम तो होता समय पर, जान कर भी भूल जाते,
यदि समय ही गुजर जाये, हाथ ही सबने मला है l
आज का हो काम अब ही है यही सिद्धान्त जग में,
वह तो पछताये हमेशा, काम यदि कल पर टला है l
सोच लो पहिले, तभी तुम
दोस्ती पैगाम दो,
तुम अभावों में पले पर, वह तो महलों में पला है l
मत भटकना तुम कभी भी, सीख तुमको दे
रहा,
राह जो पकड़ी बड़ो ने, तुम चलो यह सिलसिला है l
डा0 हरिमोहन गुप्त
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