Tuesday, 27 September 2022

गजल

 

           जिन्दगी में यह सचाई,

 जिन्दगी में यह सचाई, ”कर भला होगा भला”

  मुश्किलों में मुस्कराना ,जिन्दगी जीना कला है l

    यह समझ पाना कठिन है, कौन अपना या पराया,

   यदि समझ पाये न इसको, जिन्दगी में वह छला है l

   आजमाने  में  परेशानी  हुई  है, आप को,

    दूध से तो सब जले,क्या छाछ से कोई जला है l

    हर बफा  के बाद जग में,  बेबफाई  ही मिली है,

    मानते सब बात सच है, यह चलन कब से चला है l

    काम तो होता समय पर, जान कर भी भूल जाते,

    यदि समय ही गुजर जाये, हाथ ही सबने मला है l

   आज का हो काम अब ही है यही सिद्धान्त जग में,

    वह तो पछताये हमेशा, काम यदि कल पर टला है l    

          सोच  लो पहिले, तभी  तुम  दोस्ती  पैगाम  दो,   

         तुम  अभावों में पले पर, वह तो महलों में पला है l           

      मत भटकना तुम कभी  भी, सीख तुमको दे रहा, 

    राह जो पकड़ी बड़ो ने, तुम चलो यह सिलसिला है l     

                            डा0 हरिमोहन गुप्त   

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