Saturday 31 December 2022

नया वर्ष

आया है नया वर्ष, करते हम अभिनन्दन,

हम से जो अग्रज हैं, उनका करते वन्दन।

छोटों को शुभाशीष, मंगलमय हो जीवन।

प्रेम सदाफूले बस, हम सब उत्साही हों,

प्रगति मार्ग जो भी हो, उस पथ के राही हों,

हम उँचाई छू  लेंगे, नित प्रयास हों नूतन ।

गत को हम क्या देखें, देखें हम आगत को,

उत्सुक है नव प्रभात,हम सबके स्वागत को।

शुभ चिन्तक जो भी हैं, देखें हम अपनापन,

आया है नया वर्ष, करते हम अभिनन्दन।

जग में प्रसिद्धि के कीर्तिमान तोड़े हम,

भर दें उजयारे को, छूट जाये सारा तम।

मिट जाये अहंभाव, धुल जाये अन्तरमन।

द्वेष, बैर भूलें सब, छोटों को अपनायें,

प्रेम बीज बो कर हम,बगिया को महकायें।

मन मन्दिर अपने ही, बन जायें वृन्दावन।

ज्ञानवान, बुद्धिमान,प्रभा ओजस्वी हों,

शरदं शतं जीवेत, आप सब यशस्वी हों।

विनती है प्रभु से बस, बन जायें वे साधन।

उत्तर से दक्षिण तक,हिन्दी सब की भाषा,

पूरबसे पश्चिम तक, सुदृढ़ रहे यह आशा।

हिन्दी की प्रगति हेतु, जुट जायें ज्ञानी जन।

 

Friday 30 December 2022

 

       दिव्य शक्ति है पास आपके, तुम चरित्र निर्माता,

       गुणी, पारखी सब प्रकार हो, सदगुण तुमको भाता |

       त्याग करो जीवन में निशदिन, तो पवित्रता आये,

       अनुशासन का सम्बल रक्खो, वह ही बड़ा विधाता |

 

Thursday 29 December 2022

 

 

    वैसे तो सब काम से, जग में  पाते मान,

   जिसे भरोसा राम का, बने अलग पहिचान l

राम कृपा सब पर रही, सब पर सहज सनेह,

मानो  यदि  विश्वास  तो, दोड़े  आते  गेह l

    दु:ख सभी हरते वही, मन मत करो उदास,

    सुख देते  हैं  रामजी, रखो हृदय विश्वास l

लीला सब प्रभु राम की,रहो राम में लीन,

आश्रय पाओ राम का, सदा रहो तल्लीन l

 राक्षस कुल का नाश कर, विजयी हुये थे राम,

 अहंकार  जिसने  किया, उसको  लगा विराम l

 

    वैसे तो सब काम से, जग में  पाते मान,

   जिसे भरोसा राम का, बने अलग पहिचान l

राम कृपा सब पर रही, सब पर सहज सनेह,

मानो  यदि  विश्वास  तो, दोड़े  आते  गेह l

    दु:ख सभी हरते वही, मन मत करो उदास,

    सुख देते  हैं  रामजी, रखो हृदय विश्वास l

लीला सब प्रभु राम की,रहो राम में लीन,

आश्रय पाओ राम का, सदा रहो तल्लीन l

 राक्षस कुल का नाश कर, विजयी हुये थे राम,

 अहंकार  जिसने  किया, उसको  लगा विराम l 










Tuesday 27 December 2022

 धर्म, जाति को छोड़ कर, हो कर हम निर्भीक,

  वर्गवाद, भाषा  नहीं,  छोड़े   सारी  लीक.

निर्वाचन में हम करें, शान्ति पूर्ण मतदान,

गरिमा अक्षणु देश की, परम्परा को मान.

  करना है  मतदान को, छोड़  जरूरी काम.

  यह भी आवश्यक बहुत, लोकतन्त्र के नाम.

कितनी भी कठनाई  हो, मिले नहीं आराम,

चुनना प्रतिनिधि है हमें, लें धीरज से काम.

   बार बार समझा रहे, यह पुनीत  का  काम,

    हम विवेक से काम लें, होगा जग में नाम. 

Monday 26 December 2022

 

हमको क्या करना है जग में, लक्ष्य बनाओ निश्चित,

जीना, मरना तो  जीवन क्रम, भटके, हुये  पराजित |

आये हैं  किस हेतु  धरा पर, इस पर  करिये मंथन |

      व्यर्थ जायगा यह जीवन ही, फिर क्या मिले कदाचित |

Sunday 25 December 2022

 सूत्र यही है न्याय का, दण्ड मिले तत्काल,

अपराधी  सहमें  रहें,  होगें  वे   बेहाल.

   ऐसा कुछ  क़ानून  हो, ऐसा  हो  अधिकार,

  न्याय सुलभ अब हो सके, शासन करे विचार.

न्याय त्वरित होगा अगर, होगें कम अपराध,

जल्दी निस्तारण  करें, न्यायालय  की साध.

न्याय त्वरित यदि मिल सके,तो सचमें हो न्याय,

न्यायालय की  भूमिका, सही समझ में आय.

न्याय मिले यदि देर से, तो होगा अन्याय,

वादी, प्रतिवादी  मरे, बन्द  हुआ अध्याय.

   

 स्टे आर्डर मिल गया,तो समझो बस जीत,

  प्रतिवादी  दौड़ा  करे, वादी  गाता  गीत.

दो गवाह तैयार तो, झूठे  का सब खेल,

न्यायालय भी विवश है,सच्चा जाता जेल.

    लम्वित होते मुकद्दमे, कारण बनें वकील,

     निर्णय में सहयोग दें, उनसे यही अपील.

ऐसा यदि होगा यहाँ, होंगे कम अपराध,

जग सुधरेगा  देखना, पूरी  होगी  साध.

      अग्नि परीक्षा बाद भी, सीता को वनवास,

     प्रश्न चिन्ह है न्याय पर, कैसे हो विश्वास.

अब शासन में चाहिये, आना कुछ बदलाव,

अपराधी को  दण्ड दें, जल्दी  बिना दवाव.

      नर पिशाच ये भेड़िये,घूम रहे स्वच्छन्द,

      अपराधी भी घूमते, हो  करके निरद्व्न्द.

 

 

 

 

 

 

सूत्र यही है न्याय का, दण्ड मिले तत्काल,

अपराधी  सहमें  रहें,  होगें  वे   बेहाल.

   ऐसा कुछ  क़ानून  हो, ऐसा  हो  अधिकार,

  न्याय सुलभ अब हो सके, शासन करे विचार.

न्याय त्वरित होगा अगर, होगें कम अपराध,

जल्दी निस्तारण  करें, न्यायालय  की साध.

न्याय त्वरित यदि मिल सके,तो सचमें हो न्याय,

न्यायालय की  भूमिका, सही समझ में आय.

न्याय मिले यदि देर से, तो होगा अन्याय,

वादी, प्रतिवादी  मरे, बन्द  हुआ अध्याय.

   

 स्टे आर्डर मिल गया,तो समझो बस जीत,

  प्रतिवादी  दौड़ा  करे, वादी  गाता  गीत.

दो गवाह तैयार तो, झूठे  का सब खेल,

न्यायालय भी विवश है,सच्चा जाता जेल.

    लम्वित होते मुकद्दमे, कारण बनें वकील,

     निर्णय में सहयोग दें, उनसे यही अपील.

ऐसा यदि होगा यहाँ, होंगे कम अपराध,

जग सुधरेगा  देखना, पूरी  होगी  साध.

      अग्नि परीक्षा बाद भी, सीता को वनवास,

     प्रश्न चिन्ह है न्याय पर, कैसे हो विश्वास.

अब शासन में चाहिये, आना कुछ बदलाव,

अपराधी को  दण्ड दें, जल्दी  बिना दवाव.

      नर पिशाच ये भेड़िये,घूम रहे स्वच्छन्द,

      अपराधी भी घूमते, हो  करके निरद्व्न्द.

 

 

 

 

 

 

Saturday 24 December 2022

      उसने जो कुछ दिया, बहुत है, बस उसके गुण गायें,

      ऊपर क्यों ?नीचे को देखें, फिर मन को  समझायें |

      हमसे जो भी गुणी, योग्य हैं, उनसे ही कुछ सीखें,

      सन्तोषी  रह, अहंकार  तज, आदर  भाव  जतायें |  

Friday 23 December 2022

 राजनीति अब दे  रही, केवल  यह संदेश,

     समय देख कर आप भी, बदलें अपना वेश.

कुछ चुनाव को जीतते,घर घर बाँटें नोट,

चरण वन्दना तक करें, तब पाते वे वोट.

   कुछ का धन्धा चमकता, कुछ हो जाते फेल,

   अपना अपना भाग्य है, कुछ विधना का खेल.

राजनीति के खेल में, स्वयं करो अनुमान,

कितना इसमें नफा है, कितना है नुकसान.

     जनता तुमसे है बड़ी, समझो तो सम्मान,

     अगर अहं जागा कभी, मानो  झूठी शान.

 

Thursday 22 December 2022

 

    चिन्तन करते रूप का, गाते हम गुण गान,

    सदा स्मरण उसी  का, निकट रहें भगवान l

खुद जैसा  तुम  चाहते, वैसा  दो  तुम मान,                                          स्वत:तुम्हें मिल जायगा, यश ,वैभव, सम्मान l

   सदाचार  के पाठ  को, ऐसी  छोड़ो  छाप,

   हत्या या फिर व्यसन भी, बन जायेंगे पाप l

सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,

सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |

   ईश्वर पा सकते सहज, श्रृद्धा भक्ति अपार ,

   अहंकार  बस  छोड़ दें,  झूठा  यह संसार |

पर निन्दा हम क्यों करें, पाप युक्त व्यवहार,

परम शान्ति मिल जायगी, यह ही नेक विचार |

Wednesday 21 December 2022

दोष दूसरों  के  मत  देखो, झाँको  अपने  अन्दर,

मिथ्या अंहकार  बढ़  जाता,  क्रोध, घृणा आते घर |

देखो तुम  अपने  दोषों को, स्वयं  सुधर  जाओगे,

सामजिक  अपराधी  कोई,  दण्ड दिलाओ  जी भर |

 

 

जब विपत्ति आती है शिर पर, मन में चिंता, शोक, निराशा,

जब सम्पति आती है घर में, ईर्ष्या, द्वेष, मान की आशा |

तृष्णा बढती  ही  जाती  है, संग्रह को ब्याकुल होता मन,

सुख मिलना दूभर हो  जाता, धूमिल होती  है  अभिलाषा |

 

हम सुधरेंगे, जग  सुधरेगा, यही  बात  है  शास्वत,

दृष्टिकोंण बदलें हम अपना, इस में है अपना  हित |

गुण अन्वेषण हो स्वभाव में, हम समाज में  जाएँ,

घृणा, द्वेष, दुर्भाव त्याग कर, खुद को करें समर्पित |

 

हमको क्या करना है जग में, लक्ष्य बनाओ निश्चित,

जीना, मरना तो  जीवन क्रम, भटके, हुये  पराजित |

       आये हैं  किस हेतु  धरा पर, इस पर  करिये मंथन | 

Tuesday 20 December 2022

 

 प्रज्ञा संग चिन्तन मनन, सत साहित्य प्रधान,

  उत्कंठा  के  साथ  हो, धर्म  और  विज्ञान l  

गुरु से मिलते सूत्र ही, भाष्य आपका काम,

प्रतिभा है यदि आपमें, जग में होगा नाम l

    नैतिक जो उपदेश हैं, करें सभी अभ्यास,

    जीवन संभलेगा तभी, होगा बुद्धि विकास l

विकृति आये सोच में, मन में पनपे स्वार्थ,

कर्तव्यों  से  विमुख जो, कैसे  हो परमार्थ l

   बुद्धि हमारी तीर  है, श्रम है  सदा कमान,

    उचित मार्ग दर्शन मिले, लक्ष्य बने आसन l

Monday 19 December 2022

 

        सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,

        सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |

        ज्ञान सहज पायें सभी, रहें अगर निश्चिन्त,

        अहंकार बस छोड़ दें, झूठे सभी लगाव |

    काम, क्रोध या घृणा भाव ही,संयम रहित विचार,

    चिन्तित मन  रहता सदा, पाता  कष्ट अपार |

    आत्म निरिक्षण करना पहिले, दुश्चिन्ताएँ छोड़,

    करती हमको सद प्रवृत्ति ही, भवसागर से पार |