Monday, 5 December 2022

 

गाली  आभूषण  बनी, उनकी  है  सरकार,

किसकी हिम्मत आ सके, बीच बात तलवार l                

      भला चाहते दीजिये, हफ्ता गुण्डा टेक्स,

     दान पात्र में डालिये, होना अगर रिलेक्स l

सब प्रदेश अब जल रहे, दंगा है अब आम,

लोक सभा को जीतना, उससे हम को काम l

     कोई विधि अपनायंगे, रीत गहें अनरीत,

      आबादी मरती रहे, जो अपने, सो मीत l

वही सिर्फ अपने यहाँ, गाए जो भी गीत,

पार्टी मुखिया हमीं हैं, यह ही है जगरीत l

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