गाली
आभूषण बनी, उनकी है
सरकार,
किसकी हिम्मत आ सके, बीच बात तलवार l
भला चाहते दीजिये, हफ्ता गुण्डा टेक्स,
दान पात्र में डालिये, होना अगर रिलेक्स l
सब प्रदेश अब जल रहे, दंगा है अब आम,
लोक सभा को जीतना, उससे हम को काम l
कोई विधि अपनायंगे, रीत गहें अनरीत,
आबादी मरती रहे, जो अपने, सो मीत l
वही सिर्फ अपने यहाँ, गाए जो भी गीत,
पार्टी मुखिया हमीं हैं, यह ही है जगरीत l
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