Monday, 19 December 2022

 

        सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,

        सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |

        ज्ञान सहज पायें सभी, रहें अगर निश्चिन्त,

        अहंकार बस छोड़ दें, झूठे सभी लगाव |

    काम, क्रोध या घृणा भाव ही,संयम रहित विचार,

    चिन्तित मन  रहता सदा, पाता  कष्ट अपार |

    आत्म निरिक्षण करना पहिले, दुश्चिन्ताएँ छोड़,

    करती हमको सद प्रवृत्ति ही, भवसागर से पार |

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