सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,
सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |
ज्ञान सहज पायें सभी, रहें अगर निश्चिन्त,
अहंकार बस छोड़ दें, झूठे सभी लगाव |
काम,
क्रोध या घृणा भाव ही,संयम रहित विचार,
चिन्तित मन रहता सदा, पाता कष्ट अपार |
आत्म
निरिक्षण करना पहिले, दुश्चिन्ताएँ छोड़,
करती
हमको सद प्रवृत्ति ही, भवसागर से पार |
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