प्रज्ञा
संग चिन्तन मनन, सत साहित्य प्रधान,
उत्कंठा
के साथ हो, धर्म
और विज्ञान l
गुरु से मिलते सूत्र ही, भाष्य आपका काम,
प्रतिभा है यदि आपमें, जग में होगा नाम l
नैतिक जो उपदेश हैं, करें सभी अभ्यास,
जीवन संभलेगा तभी, होगा बुद्धि विकास l
विकृति आये सोच में, मन में पनपे स्वार्थ,
कर्तव्यों
से विमुख जो, कैसे हो परमार्थ l
बुद्धि हमारी तीर है, श्रम है सदा कमान,
उचित मार्ग दर्शन मिले, लक्ष्य बने आसन l
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