Monday 31 October 2022

 

 कान दूसरा  ना  सुने,  आँख  रहे अनजान,

  सब कुछ हो परमार्थ हित, वही श्रेष्ठ है दान l

मन चन्चल,लालच प्रबल, लोभी,मन कमजोर,

वुधि,विवेक जाग्रत करें, यद्यपि मन चितचोर l

  लोभ मोह को त्याग कर, करते  जो सत्संग,

  धन्य वही चढ़ता जिन्हें, राम भक्ति का रंग l

चार शत्रु ये प्रबल हैं, काम,क्रोध ,मद,लोभ,

जो इनसे बच कर रहा, नहीं सताता क्षोभ l 

 

 मीठी वाणी  ही  रही, जीवन  में  अनमोल,

 जीत सकेंगे सभी को, सरल सहज मृदु बोल l

Wednesday 26 October 2022

 दीपक

दीपक तल में तम आश्रित कर,

जग  में उजयारे को बाँटो,

प्रेम और सदभाव ज्योति में,

घृणा, द्वैष को ही तो छांटो l

तिल तिल कर तुम जलते रहते,

किन्तु धरा को करो प्रकाशित,

बिना भेद  के पियो अँधेरा,

और  सदा  रहते  अनुशाषित l

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“तमसो मा ज्योर्तिमय” जग हो,

इसको ही तो गाते रहते,

बाधायें  हों  पार पन्थ  की,

इसको  ही  दुहराते रहते l

मूल भावना यह प्रकाश हो.

जैसे भी जग हो आलोकित l

क्या होता उत्सर्ग व्यर्थ,जब

सदा रहो तुम ही अनुपालित l

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साहस,

 

साहस,शौर्य देखतें हैं जब,

शीत वायु के लगें थपेड़े,

अडिग और द्दढता  के बल पर,

नई रोशनी सदा बिखेरे l

संकल्प शक्ति,उद्देश्य और,-

विश्वास सभी तुमसे परिभाषित,

जलते रहना काम तुम्हारा,

इसमें ही सच्चा समाज हित l

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अग्नि रूप, उर्जा उत्प्रेरक,

गतिमय हो ऐसा आकर्षण,

दिव्य ज्योति तुमसे आलोकित,

भूले,भटकों का पथ दर्शन l

सदा ऊर्धगामी ही रहना,

सब हो जायेंगे आकर्षित,

उन्नति पथ पर बढो सदा तुम,

इसको ही करते हो इंगित l

 

 

 

 

 

Sunday 23 October 2022

 

पन्च दिवसीय दीपावली पर्व पर शुभ कामनायें

                               दीपावली डा0 हरिमोहन गुप्त

बना कर देह का दीपक,

जलाओ स्नेह की बाती,

मिटे मन का अँधेरा भी,

प्रकाशित हो  धरा सारी|

दिवाली रोज  मन जाये,

बढ़े धन धान्य जीवन में,

प्रभुल्लित आप  रह पायें,

यही शुभकामना मन की |

हमें  सद  बुद्धि  ऐसी दें,

करें   उपकार  जीवन  में,

बढ़ें हम सब प्रगति पथ पर,

   यही है  चाह  बस मन में  |

निरोगी आप तन मन से,

करें  निस्वार्थ  सेवा  भी,

रहूँ  स्मृति पटल  पर मैं,

यही  है  प्रार्थना  सब से |

यही है प्रार्थना मेरी |

 

 

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Saturday 22 October 2022

 ऐश औ आराम  से  जीवन कटे,  यह भोग है,

असंतुलित भोजन करें परिणाम इसका रोग  है l

स्वस्थ हो तन,मन सहज ही,मनन चिन्तन साथ हो,

जोड़ दो संग आत्मा मन, बस यही तो योग है |

जीवन  का  यदि सम्यक ढंग से करना है उपयोग,

अल्पाहारी,  सम्यक   निद्रा,  करें  आप  उपभोग l

हम शतायु  की  सोचें  मन  में, रहना हमें निरोग,

स्वास्थलाभ संग,मन प्रसन्न हो,नियमित करिये योग l

स्वास्थय दिवस पर सभी को शुभ कामनाएं


Friday 21 October 2022

 

आतंक वाद को मिल जुल कर हम सभी मिटायें,

स्थायी  हो  शान्ति, सभी  सुख  से  रह  पायें ,

बात  न्याय  की  करें, बनें  हम  ना पिछलग्गू

आपस  में  ही  बैठ,  विवादों   को   सुलझाएं l

नेह  से  नाता रहा मनमीत  का,

है समर्पण सार ही बस प्रीत का l

गीतकारों  ने  सदा  से यह कहा,

दर्द  से  रिश्ता पुराना  गीत  का l

Thursday 20 October 2022

जो भी चाहे शान्ति सुख,या चाहे आनन्द,

क्षमा,शील संग दया हो, पाओ परमानन्द l

 जो  चाहो   ऐकाग्रता,  इच्छा  शक्ति  प्रधान,

मन प्रसन्न यदि आपका, सुख दुख ऐक समान l

पर निन्दा  से  जो बचा, रक्खा जिसने मौन,

तन मन जिसका शुद्ध है, उससे बढ़ कर कौन l

     चोरी,असत विचार को, सभी मानते पाप,

     सत्य आचरण श्रेष्ठ है, नहीं रहे  संताप l

पाप पुण्य के गणित को, समझ सका है कौन,

मन चाही  है  व्यवस्था, शास्त्र हुये  हैं मौन l                    

Wednesday 19 October 2022

 

सत्यं  शिवं  सुन्दरम  की  गूंजी  है वाणी,

सत्यमेव  जयते  की  हमने पढ़ी  कहानी,

ऐक झूठ सौ बार कहें क्या सच हो सकता,

सच तो सच  है, यही बात जानी पहिचानी l

 

मन में बस जाग्रत करना है,उच्च भावना,

कठिन परिश्रम से ही मिलती है सराहना |

उसके संग संग ईश कृपा भी है आवश्यक,

सदा तपस्या  से  ही होती  पूर्ण साधना |

Tuesday 18 October 2022

 

जीवन गारा व्यर्थ में, लिया न प्रभु का नाम,

 पछताता  हूँ  मैं  स्वयम, बिगड़े  सारे काम l

      ईश्वर बड़ा दयालु है, रक्षक है वह आप,

      क्यों उससे मुख मोड़ते, करते पश्चाताप l

जिसकी जैसी भावना, वैसी  मानो  यार,

जुड़ा हुआ है भाव से, यह जीवन का सार l

    किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,

  लोक सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l

मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,

बांस सरीखी जो फटे, होती  बुद्धि  कुशाग्र.

 

Monday 17 October 2022

 

पढ़ कर,गुन कर, गुण दोषों की करें समीक्षा,

समय पड़े पर आवश्यक उत्तीर्ण परीक्षा,

लेकिन इतना धीरज रक्खें शांत भाव से,

फल पाने को करना पड़ती सदा प्रतीक्षा l

 

योग्य हितेषी मित्र मिल सकें, कम होता है,

औषधि गुण कारी, मीठी हो, कम होता है

स्वार्थ सिद्धि  में  ही  डूबे  हैं, प्राणी जग के,

अपनापन  कोई  दिखलाये, कम    होता  है l

Sunday 16 October 2022

 

प्रेरणा (नीति दोहे)

सुन कर समझें बात को, मथ कर करें विचार,

जिनके  उर  नवनीत  है,  वे  करते  उपकार l

सुख दुख में जो ऐक रस, रहे अलग पहिचान,

सहन शील  ही  जगत  में, पाते  हैं सम्मान l

मीठी वाणी  बोलिये, दुष्ट पुरुष  हों  दूर,

क्षमा, शील का व्रत रहे, मद हो जाता चूर l

                         क्षमा, दयासे हींन जो, तो समझो यह दोष,    

 क्षमा,दया से युक्त जो,  भूषण है निदोष |

आशा फलती उन्हीं की, जिनको है सन्तोष,

जो प्रयासरत  ही  रहें, भरते  हैं  वे कोष l

Saturday 15 October 2022

 मैं क्या लिखता,राम लिखाता,वही स्वयम लिख जाता l

उर  में  वह  ही भाव जगाता, श्रेय मुझे मिल जाता l

   मैं  भजता  हूँ  राम नाम को, बस  उससे है  नाता,

  अगर अँधेरा  पाता  मग  में, वह  ही  राह दिखाता l

मेरा  जीवन राम भजन  में,  सच  मानो कट जाता,

क्या लेना इस लौकिक जग से,दुख में भी सुख पाता l

  सब आडम्बर छोड़ जगत के, मन  को  यह समझाता.

 जीवन धन्य  मानता  मैं  हूँ, बस  उसके  गुण गाता l

निराकार  है, निरालम्ब  है, वही  ऐक  है  ज्ञाता,

जितना उसे चलाना मुझको, उतने पग  धर पाता  l

 ऊँगली  मेरी  कर  में  पकड़े, वह  ही  भाग्य विधाता,

लोभ, मोह का  चक्कर छोड़ो, क्यों  मन को भरमाता ?

जीवन थोड़ा, पल दो पल का, क्यों कुभाव उपजाता ?

जो भी आश्रित उस पर रहता, नहीं कभी  दुख पाता l 

मुझको  को  तो  सन्तोष  यही  है, मेरा  उससे  नाता,

दान पुण्य  मैं  नहीं  जानता, मन  में  सुख  उपजाताl

अन्त समय में सच मानो तुम,सबका भाग्य विधाता,

भव सागर  में  नाव फंसी  तो, वह ही पार लगाता l 

Friday 14 October 2022

 

भारत को माता माना है, प्राण निछावर की ठानी है,

जान हथेली पर रखते हैं, हममें हमीद से मानी हैं |

हम अनेक में एक रहे हैं, जीवन,मरण लगे उत्सव सा,

भले कौम के कोई रहें हम, पर पहिले हिन्दुस्तानी हैं |

 

अडिग हिमालय से हैं हम सब, सागर सी गहराई है,

देश बड़ा  है, हम से  बढ़ कर, ऐसी  शिक्षा पाई है |

भारत में भी कभी स्वार्थवश, जयचंद यहाँ पैदा होते,

प्राणों  की  आहुति  देते हैं,  हमीं  चन्द्रवरदायी हैं |

 

Thursday 13 October 2022

 

स्वार्थ भावना यदि मन में तो, वह ख़ास नहीं बनता,

छल- छन्द रहा यदि मन में तो, विश्वास नहीं पलता |

कर्मठ, सत्यव्रती का जग में, नाम  लिखा  जाता  है,

अभिमानी जन को इस जग में, सम्मान नहीं मिलता |

केवल तन ही नहीं आपका मन पवित्र हो,

आत्म नियंत्रण, परोपकार उत्तम चरित्र हो,

सुख के साथी नहीं दुःख में साथ निभायें

बस जिनके आचरण श्रेष्ठ हों वही मित्र हो

 

जग प्रकाशित है सदा आदित्य से,

हम प्रगति करते सदा सानिध्य से,

कोई  माने, या   माने  सत्य  है,

देश जाग्रत  है  सदा  साहित्य  से l

 

काव्य अलंकृत है यदि कोई, नहीं जरूरत अलंकार की,

सुन्दरता संग मोहक छवि हो, नहीं जरूरत कंठहार की |

प्राणी  का  गुण कर्म सदा प्रतिबिम्ब रहा है  जग में,

सरल सौम्यता,सम्यक वाणी, नहीं जरूरत अहंकार की |

Wednesday 12 October 2022

चाँद

 

चाँद

करवा चौथ हो, या ईद हो,

चन्द्र दर्शन को शुभ जानते,

दोनों   ही धर्म  अपनाकर,

सब अपना सौभाग्य मानते |

सभी में  बढ़ता है सद्भाव,

स्वयं ही आती सहज निकटता,

दूरियाँ  होती  जाती   दूर,

और  बढती है सदा  मधुरता |

इसीलिये तो  आदि काल से,

बना हुआ अस्तित्व तुम्हारा,

जब समान द्रष्टि हो सब पर,

है  महत्व  स्थाई  तुम्हारा |

 

ये  सन्देश  प्रेम  का  देते,

समरसता  का  पाठ  पढाते,

हिन्दू हो  या मुसलमान हो,

सब मिलजुल कर ही गुण गाते |

     सभी  चाँद  से  आशिष  पाते,

और  चन्द्र  तेरे  गुण  गाते,

ऐसा  व्रत  त्योहार   मनाते |

डा0 हरिमोहन गुप्त