Monday, 31 October 2022

 

 कान दूसरा  ना  सुने,  आँख  रहे अनजान,

  सब कुछ हो परमार्थ हित, वही श्रेष्ठ है दान l

मन चन्चल,लालच प्रबल, लोभी,मन कमजोर,

वुधि,विवेक जाग्रत करें, यद्यपि मन चितचोर l

  लोभ मोह को त्याग कर, करते  जो सत्संग,

  धन्य वही चढ़ता जिन्हें, राम भक्ति का रंग l

चार शत्रु ये प्रबल हैं, काम,क्रोध ,मद,लोभ,

जो इनसे बच कर रहा, नहीं सताता क्षोभ l 

 

 मीठी वाणी  ही  रही, जीवन  में  अनमोल,

 जीत सकेंगे सभी को, सरल सहज मृदु बोल l

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