कान
दूसरा ना
सुने, आँख रहे अनजान,
सब कुछ हो परमार्थ हित, वही श्रेष्ठ है दान l
मन चन्चल,लालच प्रबल, लोभी,मन कमजोर,
वुधि,विवेक जाग्रत करें, यद्यपि मन चितचोर l
लोभ मोह
को त्याग कर, करते जो सत्संग,
धन्य
वही चढ़ता जिन्हें, राम भक्ति का रंग l
चार शत्रु ये प्रबल हैं, काम,क्रोध ,मद,लोभ,
जो इनसे बच कर रहा, नहीं सताता क्षोभ l
मीठी
वाणी ही
रही, जीवन में अनमोल,
जीत
सकेंगे सभी को, सरल सहज मृदु बोल l
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