राजा से अब
नहीं,मुझे तो उससे कहना, 18
वह है
पालनहार, वही है मेरा अपना |
आधी रात चला आता है दया दिखाने,
सभी तरह के दुःख,भय,या आपत्ति हटाने |
सब फीके हैं, उसके आगे सब दरबारी,
वह समर्थ है, मुझको अपना पाठ सिखाने |
उसके जो निर्देश, मुझे तो वह ही करना,
सारे झन्झट छोड़, मुझे उसके संग रहना |
मुझ पर कृपा राम की रहती, उसकी छाया,
उसके चरणों में झुक
जाती मेरी काया |
राजा की चौखट पर जा कर, क्या मैं माँगूं,
उसके दर पर आकर, मेने सब कुछ पाया |
धर्म नीति की बहे पवन, उस संग ही
बहना,
उसके ही आदेश
मुझे सिर माथे
धरना |
उसके प्रति सद्भाव, समर्पण हो बस मन से,
श्रृद्धा औ विश्वास जगे,
मेरे जीवन से |
क्या करना है, कभी जाऊं राजा के द्वारे,?
मेरा तो उद्धार निहित है राम
भजन से |
वह हीरे
का हार, वही सोने का गहना,
मैं
सेवक हूँ, स्वामी है वह, इतना कहना |
डा0
हरिमोहन गुप्त
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