Friday, 7 October 2022

भजन

 

 राजा से अब नहीं,मुझे तो उससे कहना,   18

 वह है पालनहार, वही  है मेरा अपना  |

              आधी रात चला आता  है  दया दिखाने,

              सभी तरह के दुःख,भय,या आपत्ति हटाने |

              सब फीके  हैं, उसके आगे  सब दरबारी,

              वह समर्थ है, मुझको अपना पाठ सिखाने |

       उसके जो निर्देश, मुझे तो वह ही करना,

       सारे झन्झट छोड़, मुझे उसके संग रहना |

              मुझ पर कृपा राम की रहती, उसकी छाया,

              उसके  चरणों में  झुक  जाती  मेरी काया |

              राजा की चौखट पर जा कर, क्या मैं माँगूं,

              उसके दर पर आकर, मेने सब कुछ पाया |

       धर्म नीति की बहे  पवन, उस संग ही बहना,

       उसके  ही  आदेश  मुझे  सिर  माथे  धरना |

              उसके प्रति सद्भाव, समर्पण हो बस मन से,

              श्रृद्धा औ विश्वास  जगे,  मेरे  जीवन  से |

              क्या करना है,  कभी जाऊं  राजा के द्वारे,?

              मेरा तो  उद्धार निहित है  राम  भजन से |

 

 वह हीरे का हार, वही  सोने का  गहना,

  मैं सेवक हूँ, स्वामी है वह, इतना कहना |

       डा0 हरिमोहन गुप्त    

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