आतंक वाद को मिल जुल कर हम सभी मिटायें,
स्थायी
हो शान्ति, सभी सुख से
रह पायें ,
बात
न्याय की करें, बनें
हम ना पिछलग्गू
आपस
में ही बैठ,
विवादों को सुलझाएं l
नेह से नाता
रहा मनमीत का,
है समर्पण सार ही बस प्रीत का l
गीतकारों ने सदा से यह कहा,
दर्द से रिश्ता
पुराना गीत का l
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