Friday, 21 October 2022

 

आतंक वाद को मिल जुल कर हम सभी मिटायें,

स्थायी  हो  शान्ति, सभी  सुख  से  रह  पायें ,

बात  न्याय  की  करें, बनें  हम  ना पिछलग्गू

आपस  में  ही  बैठ,  विवादों   को   सुलझाएं l

नेह  से  नाता रहा मनमीत  का,

है समर्पण सार ही बस प्रीत का l

गीतकारों  ने  सदा  से यह कहा,

दर्द  से  रिश्ता पुराना  गीत  का l

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