राम नाम में लीन जो, मिलता उसे प्रसाद,
जीवन सुख
से बीतता, रहता नहीं प्रमाद l
क्या माँगू मैं राम से, वे तो हैं जगदीश,
रहूँ स्वस्थ सानन्द मैं, यह दे दें आशीष l
क्या करना धन जोड़ कर, निर्धन के धन राम,
मृदु वाणी अरु सत्य से, बस रक्खो तुम काम l
नाता जोड़े राम से, छोड़ें सब छल छन्द,
सीमित इच्छा
में रहें, वे रहते सानन्द l
कष्ट सभी
के काटते, ऐसे हैं श्री राम,
सुख दुख में बस राम को, भजिये आठों याम l
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