Saturday, 1 October 2022

 राम नाम में लीन जो, मिलता उसे प्रसाद,

जीवन सुख  से बीतता, रहता नहीं प्रमाद l

क्या माँगू मैं राम से, वे तो हैं जगदीश,

रहूँ स्वस्थ सानन्द मैं, यह दे दें आशीष l

क्या करना धन जोड़ कर, निर्धन के धन राम,

मृदु वाणी अरु सत्य से, बस रक्खो तुम काम l

नाता जोड़े राम से, छोड़ें सब छल छन्द,

सीमित इच्छा  में  रहें, वे रहते सानन्द l

कष्ट  सभी  के  काटते, ऐसे  हैं  श्री  राम,

सुख दुख में बस राम को, भजिये आठों याम l

डा0 हरिमोहन गुप्त 

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