दिन मे राजा ओरछा, रात्रि अवध विश्राम,
ऐसे हैं श्री राम जी, उनको सतत प्रणाम |
कह कर ही वे आय थे, होंगे राजा राम,
सबको यह स्वीकार था, भज मन आठों याम |
जहाँ बैठ
जाएँ वहीं, होगा मम आवास,
महल विराजे राम जी, वह ही मन्दिर ख़ास |
पुख्य पुख्य नक्षत्र में, चले ओरछा दाम,
राज तिलक भी पुख्य में, राजा हैं अब राम |
जो भी आते द्वार पर, विमुख न जाते लोग,
राम भला सबका करें, कर लो तुम उपयोग |
ऐसी
है मन कामना, हे
मेरे श्री राम,
दास मान रक्खो यहाँ, या राखो निज धाम |
No comments:
Post a Comment