Thursday, 6 October 2022

 

दिन मे राजा ओरछा, रात्रि  अवध विश्राम,

ऐसे हैं श्री राम जी, उनको  सतत प्रणाम |

कह कर ही वे आय थे, होंगे  राजा राम,

सबको यह स्वीकार था, भज मन आठों याम |

जहाँ  बैठ जाएँ  वहीं, होगा  मम  आवास,

महल विराजे राम जी, वह ही मन्दिर ख़ास |

पुख्य पुख्य  नक्षत्र में, चले   ओरछा दाम,

राज तिलक भी पुख्य में, राजा हैं अब राम |

जो भी आते द्वार पर, विमुख न जाते लोग,

राम भला सबका करें, कर लो तुम उपयोग |

ऐसी  है  मन  कामना, हे  मेरे  श्री राम,

 दास  मान रक्खो यहाँ, या राखो निज धाम |

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