चाँद
करवा चौथ हो, या ईद हो,
चन्द्र दर्शन को शुभ जानते,
दोनों ही धर्म अपनाकर,
सब अपना सौभाग्य मानते |
सभी में बढ़ता है सद्भाव,
स्वयं ही आती सहज निकटता,
दूरियाँ होती जाती
दूर,
और बढती है सदा मधुरता |
इसीलिये तो आदि काल से,
बना हुआ अस्तित्व तुम्हारा,
जब समान द्रष्टि हो सब पर,
है महत्व स्थाई
तुम्हारा |
ये सन्देश प्रेम
का देते,
समरसता का पाठ
पढाते,
हिन्दू हो या मुसलमान हो,
सब मिलजुल कर ही गुण गाते |
सभी चाँद से आशिष पाते,
और चन्द्र तेरे
गुण गाते,
ऐसा व्रत त्योहार
मनाते |
डा0 हरिमोहन गुप्त
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