Sunday, 16 October 2022

 

प्रेरणा (नीति दोहे)

सुन कर समझें बात को, मथ कर करें विचार,

जिनके  उर  नवनीत  है,  वे  करते  उपकार l

सुख दुख में जो ऐक रस, रहे अलग पहिचान,

सहन शील  ही  जगत  में, पाते  हैं सम्मान l

मीठी वाणी  बोलिये, दुष्ट पुरुष  हों  दूर,

क्षमा, शील का व्रत रहे, मद हो जाता चूर l

                         क्षमा, दयासे हींन जो, तो समझो यह दोष,    

 क्षमा,दया से युक्त जो,  भूषण है निदोष |

आशा फलती उन्हीं की, जिनको है सन्तोष,

जो प्रयासरत  ही  रहें, भरते  हैं  वे कोष l

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