प्रेरणा (नीति दोहे)
सुन कर समझें बात को, मथ कर करें विचार,
जिनके
उर नवनीत है,
वे करते उपकार l
सुख दुख में जो ऐक रस, रहे अलग पहिचान,
सहन शील
ही जगत में, पाते
हैं सम्मान l
मीठी वाणी
बोलिये, दुष्ट पुरुष हों दूर,
क्षमा, शील का व्रत रहे, मद हो जाता चूर l
क्षमा, दयासे हींन जो, तो समझो यह दोष,
क्षमा,दया
से युक्त जो, भूषण है निदोष |
आशा फलती उन्हीं की, जिनको है सन्तोष,
जो प्रयासरत
ही रहें, भरते हैं वे
कोष l
No comments:
Post a Comment