Friday, 20 June 2025

विश्व बन्धु की रहे भावना, सत्कर्मो  का  पालन,

बिना स्वार्थ के निर्मल मन से, हो परमार्थ सुहावन |

एक एक  से  ग्यारह होते, तब समाज  बनता है,

                                             उसके प्रति उत्तरदायी  हम, सेवा व्रत  हो  पावन | 

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