Thursday, 12 June 2025

 

फल देतें हैं सदा सभी को, वृक्ष नहीं कुछ खाते,
    धरती को सिंचित करते ही,बादल फिर उड़ जाते |
   प्यास बुझाती प्यासे की ही,सरिता कब जल पीती,
       पर उपकारी जो रहते हैं, धन्य वही हो पाते  |

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