Thursday, 22 December 2022

 

    चिन्तन करते रूप का, गाते हम गुण गान,

    सदा स्मरण उसी  का, निकट रहें भगवान l

खुद जैसा  तुम  चाहते, वैसा  दो  तुम मान,                                          स्वत:तुम्हें मिल जायगा, यश ,वैभव, सम्मान l

   सदाचार  के पाठ  को, ऐसी  छोड़ो  छाप,

   हत्या या फिर व्यसन भी, बन जायेंगे पाप l

सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,

सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |

   ईश्वर पा सकते सहज, श्रृद्धा भक्ति अपार ,

   अहंकार  बस  छोड़ दें,  झूठा  यह संसार |

पर निन्दा हम क्यों करें, पाप युक्त व्यवहार,

परम शान्ति मिल जायगी, यह ही नेक विचार |

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