चिन्तन करते रूप का, गाते हम गुण गान,
सदा
स्मरण उसी का, निकट रहें भगवान l
खुद जैसा तुम चाहते, वैसा दो तुम
मान, स्वत:तुम्हें
मिल जायगा, यश ,वैभव, सम्मान l
सदाचार
के पाठ को, ऐसी छोड़ो
छाप,
हत्या या फिर व्यसन भी, बन जायेंगे पाप l
सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,
सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |
ईश्वर
पा सकते सहज, श्रृद्धा भक्ति अपार ,
अहंकार बस छोड़
दें, झूठा यह संसार |
पर निन्दा हम क्यों करें, पाप युक्त व्यवहार,
परम शान्ति मिल जायगी, यह ही नेक विचार |
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