Monday, 7 April 2025

काव्य अलंकृत है यदि कोई, नहीं जरूरत अलंकार की,

सुन्दरता संग मोहक छवि हो, नहीं जरूरत कंठहार की |

प्राणी  का  गुण कर्म सदा प्रतिबिम्ब रहा है  जग में,

                                           सरल सौम्यता,सम्यक वाणी, नहीं जरूरत अहंकार की | 

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