काव्य अलंकृत है यदि कोई, नहीं जरूरत अलंकार की,
सुन्दरता संग मोहक छवि हो, नहीं जरूरत कंठहार की |
प्राणी का गुण कर्म सदा प्रतिबिम्ब रहा है जग में,
सरल सौम्यता,सम्यक वाणी, नहीं जरूरत अहंकार की |
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