Friday, 4 April 2025

मन में जब भी दूरी बढती, तो उसका परिणाम कलह है,

तिरिस्कार जब भी मिलता है, उसकी कोई रही बजह है |

माना यह  सबको समझोते, करना पड़ते  हैं  जीवन में,

                                         इनसे जो ऊपर उठ जाता, उसकी अपनी स्वयम जगह है | 

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