Tuesday, 1 April 2025

 

परछाईं   के पीछे भागो, नहीं  पकड़  में  आये,

उसे छोड़  कर  आगे जाओ, तो  वह  पीछे धाये|

माया, ममता, और तृषा  का  यही हाल है मानो,

उसके प्रति बस मोह छोड़ दो, मन आनन्द समाये |

 

मन में बस जाग्रत करना है,उच्च भावना,

कठिन परिश्रम से ही मिलती है सराहना |

उसके संग संग ईश कृपा भी है आवश्यक,

सदा तपस्या  से  ही होती  पूर्ण साधना |

 

योग्य हितेषी मित्र मिल सकें, कम होता है,

औषधि गुण कारी, मीठी हो, कम होता है|

स्वार्थ सिद्धि में ही डूबे  हैं, प्राणी जग के,

अपनापन  कोई  दिखलाये, कम  होता है |

 

विद्वान से शोभा सभा की, बात यह सब जानते,

वृद्ध सम्मानित सभा में, बात यह  सब  मानते |

है कथन यह बुद्धिमानों का, नहीं जाना उचित है,

जो, आप में क्षमता, कुशलता को  नहीं पहिचानते |

 

 

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